Rajasthan Politics On New Districts: छबड़ा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर छबड़ा नगर पालिका के बीजेपी पार्षद पानी की टंकी पर चढ़ गए और चार घंटे तक टंकी पर रहकर विरोध दर्ज कराया और सरकार पर आरोप लगाया कि जिसे जिला बनना था उसे तो नहीं बनाया, जबकी राजनैतिक और वोट लेने के चलते दूसरे शहरों को जिला बना दिया गया.  


पार्षद रितेश शर्मा, पार्षद रोहित अरोड़ा और मनमोहन सेन छबड़ा कस्बे की कृषि उपज मंडी में स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गए और जिला बनाने को लेकर जमकर नारेबाजी की. वहीं घटना की सूचना पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और पार्षदों से समझाइश कर उन्हें नीचे उतारा. इसके बाद तीनों पार्षदों को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में पार्षदों को कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जहां से उन्हें जमानत दे दी गई.


1907 में से चली आ रही छबड़ा को जिला बनाने की मांग
छबड़ा को जिला बनाने की मांग करते हुए भारतीय जनता पार्टी के तीन पार्षद पानी की टंकी पर चढ़ गए थे. उसके बाद बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई और व्यापरी भी उनके साथ हो गए. हाथ में बैनर लिए पार्षद रितेश शर्मा, रोहित अरोड़ा और मनमोहन सेन ने वहां नारेबाजी की और छबड़ा को जिला बनाने की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया.


पार्षदों का कहना है कि साल 1907 में छबड़ा नगर पालिका बन गई थी. क्षेत्र का विस्तार हो रहा है, जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 125 किलोमीटर तक है और छबड़ा क्षेत्र में कई गांव शामिल हैं. ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि इलाके की डिमांड को देखते हुए छबड़ा को जिला बनाया जाए और अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो इलाके की जनता सरकार को सबक सिखाएगी.


मांगे नहीं मानी तो उग्र होगा आंदोलन
बीजेपी के पार्षदों ने कहा कि यह मांग इलाके के लोगों की आज की नई नहीं है. लंबे समय से जिला बनाने की मांग उठती आई है, लेकिन राज्य सरकार ने भेदभाव करते हुए छबड़ा को जिला नहीं बनाया. ऐसे में इलाके के लोग आगामी समय में अपनी मांग को मनवाने के लिए आंदोलन तेज करेंगे. पार्षदों का आरोप है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक माह पहले बनी दूदू नगरपालिका को जिला बना दिया जबकी वहां से जिला मुख्यालय की दूरी महज 40 किलोमीटर है, जबकी छबड़ा से जिला मुख्यालय 100 से 125 किलोमीटर दूरी पर है. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान के सबसे बड़े बिजली उत्पादन प्लांट भी यहीं पर हैं, सभी सुविधाएं हैं, लेकिन हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है ये ठीक नहीं है. 


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