Rajasthan News: कोटा में शुक्रवार शाम को खदान में डूबने से दो बच्चों की मौत हो गई. बच्चों की मौत के मामले को लेकर उनके परिजनों ने शनिवार सुबह भी जमकर हंगामा किया और इसे यूआईटी के अधिकारियों की लापरवाही बताते हुए बच्चों का शव लेने से मना कर दिया. बच्चों के परिजन व समाज के लोग शनिवार सुबह मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पोस्टमॉर्टम रूम पर पहुंचे और जमकर हंगामा किया.
समाज के लोगों ने मृतकों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपए के मुआवजे और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शव लेने से इंकार कर दिया. इस दौरान तीन थानों की सीआई, डीएसपी ओर भारी पुलिस जाप्ता मौके पर तैनात किया गया.
पांच भाई बहनों में इकलौता था हंसराज
बच्चों की मौत के बाद परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है. परिजनों ने बताया कि दोनों बालक खदान में गाय भैसों को पानी पिलाने के लिए गए थे, वहां एक भैंस को डूबता देख एक बच्चे ने बचाने का प्रयास किया तो वह डूब गया, दूसरा जब उसे बचाने लगा तो वह भी खदान में डूब गया. जब वहां एक टैंकर चालक पानी भरने आया तो उसने वहां चप्पन और कपड़े पड़े हुए देखे और किसी के डूबने की आशंका के चलते इसकी खबर लोगों को दी.
जब लोगों तक यह खबर पहुंची तो पता चला कि हंसराज गुर्जर (15) व शैतान गुर्जर (14) दोपहर को भैंस को पानी पिलाने देवनारायण आवासीय योजना के पास गहरी खदान में गए थे जो वापस नहीं आए. उसके बाद पुलिस व निगम गौताखोर टीम को सूचना दी गई और रात आठ बजे स्कूबा डाइविंग कर दोनों के शव निकाले गए. परिजनों ने बताया कि हंसराज पांच भाई बहनों में इकलौता था. जिसकी मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया.
'यूआईटी के अधिकारियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई'
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कई बार ज्ञापन दिए लेकिन यूआईटी अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रैंगी. इस घटना से देव नारायण योजना में निवासरत लोगों में गहरा आक्रोश है, यहां सुविधाओं का विस्तार नहीं किया गया और योजना बसाकर पशु पालकों को पटक दिया गया.
देवनारायण आवास योजना के अध्यक्ष किरण लांगड़ी का कहना है कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार यूआईटी प्रशासन हैं, यूआईटी प्रशासन व जिला कलेक्टर को कई बार ज्ञापन दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. यहां लगातार पानी की कमी रहती हैं और जानवर पानी के बिना मर रहे हैं, ऐसे में जहां खड्डों में पानी हैं वहां लोग जानवरों को लेकर जाते हैं और जान जोखिम में डाल रहे हैं. आवासीय योजना में रहने वालों का कहना है कि पांच-पांच दिन तक पानी नहीं आ रहा. एसी कमरों में बैठे यूआईटी अधिकारियों को क्या पता जब किसी का चिराग डूबता है तो उसका दर्द क्या होता है. उन्होंने कहा कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.