कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे कोटा कलेक्टर, दिया सफलता का मंत्र, बोले- सिक्का उछालकर मैंने चुना था सबजेक्ट
Kota News: जिला प्रशासन का कोचिंग स्टूडेंट्स से सीधे संवाद का सिलसिला जारी है. जिला कलेक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी सत्यार्थ कैम्पस पहुंचे और वहां उन्होंने कोचिंग स्टूडेंट से संवाद किया.
Rajasthan News: कोटा में कोचिंग स्टूडेंट की हर समस्या का समाधान करने के लिए जिला प्रशासन से लेकर अन्य संस्थान तत्पर रहते हैं. कोचिंग स्टूडेंट को यहां किसी भी तरह से परेशान नहीं होने दिया जाता. जिला प्रशासन की ओर से कामयाब कोटा अभियान के तहत स्टूडेंट्स को सकारात्मक माहौल देने के लिए जिला प्रशासन का कोचिंग स्टूडेंट्स से सीधे संवाद का सिलसिला जारी है.
इसके तहत जिला कलेक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी जवाहर नगर स्थित सत्यार्थ कैम्पस पहुंचे और क्लास में कोचिंग स्टूडेंट्स से संवाद किया.
कोचिंग स्टूडेंट्स के सवालों के कलेक्टर ने दिए जवाब
इस दौरान स्टूडेंट्स ने सवाल किए और कलेक्टर डॉ.गोस्वामी ने एक शिक्षक के रूप में जवाब दिए. करीब एक घंटे चले इस संवाद के बाद स्टूडेंट्स बहुत उत्साहित नजर आए. डॉ.गोस्वामी ने कहा कि स्वास्थ्य सबसे पहले है. हमारे शरीर में विटामिन सी, विटामिन डी और विटामिन बी-12 की कमी नहीं होनी चाहिए.
इसके लिए रोजाना एक नींबू पीना है, रोज आधा लीटर दूध पीना है और 15 मिनट धूप में रहना है. इससे आप बहुत सारी बीमारियों से दूर हो जाएंगे.
‘अटेंशन प्लॉन आइडेंटिफाई होना जरूरी है’
स्टूडेंट्स के एक सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि मैं पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम से प्रभावित हूं. उनकी सादगी और अनुशासित जीवन मेरे लिए प्रेरणा है. वो व्यक्ति सब कुछ होकर भी साधारण रहे. हम सभी के जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि लगता है कि फालतू के कार्यों में समय व्यतीत हो रहा है तो अटेंशन प्लॉन आइडेंटिफाई होना जरूरी है.
हमें पता होना चाहिए कि हम जहां जा रहे हैं, वहां कितना समय व्यतीत करना है. कब बैठना है और कब उठना है. इससे जब हम काम खत्म कर रहे होंगे तो इस बाद का पछतावा नहीं होगा कि मेरा समय खराब हुआ है.
‘जो चल रहा है वो लाइफ का एक फेज है’
सक्सेज नहीं होने की बात पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि मैं आप सभी को सेल्युट करता हूं कि आप सभी ने तैयारी करने का साहस दिखाया. सेलीब्रेट द प्रिपेरेशन, नॉट द रिजल्ट्स हम में से हर कोई बॉर्डर लाइन पर है. आप लोग अलग हो क्योंकि आप अनुभव ले रहो हो. संघर्ष करना सीख रहे हो, कम्पीटिशन हर जगह है, जो चल रहा है वो लाइफ का एक फेज है, वर्तमान में जिएं और रोजाना मेहनत करें.पढ़ने का तरीका सभी का अलग-अलग हो सकता है.
इसलिए पढ़ते समय घंटे नहीं गिनें. मैं तो यही सोचता हूं कि रोज अच्छी मेहनत करूं और अच्छी नींद लूं. प्लान ए के लिए कोशिश कर रहे हो लेकिन प्लान बी भी साथ रखो.
एक अन्य स्टूडेंट के सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि ओवर थिंकिंग होती है तो जो बात हम सोचते हैं, उस सब्जेक्ट को लिखो. आप देखोगे कि दो से तीन सब्जेक्ट आप लिख नहीं सकोगे. ऐसे में हमारा सोचना कम हो जाएगा. दूसरी बात जो ख्याल आपको आ रहे हैं, उसके बारे में माता-पिता को पत्र भी लिख सकते हैं. पत्र में स्पष्ट करें कि मैं ये सोचता हूं और इसे दूर करने की कोशिश करूंगा. अपनी कमजोरी के बारे में लिख सकते हैं.
‘टॉस करके ली थी बॉयलोजी’
एक स्टूडेंट के सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि आप सभी के पास आज बहुत साधन और संसाधन हैं. इनका सदुपयोग करें. मुझे जब दसवीं में 84 प्रतिशत अंक आए तो बहुत बड़ी बात थी. तब राजस्थान बोर्ड में इतने नंबर बहुत अच्छे होते थे. लोगों ने सलाह दी कि साइंस ले लो. अब साइंस के बारे में पूछा तो पता चला कि मैथ्स और बॉयो अलग-अलग है, कौनसी लें, क्यों ले? कुछ पता नहीं, समझाने वाले नहीं, इतना पता था कि बॉयलोजी में चित्र बनाने पड़ते हैं और मैथ्स में सवाल होते हैं. मैंने सिक्का उछाला और टेल आने पर बॉयलोजी ले ली. इसके बाद भी मैं कई परीक्षाओं में पहले प्रयास में सफल नहीं हुआ लेकिन मैंने फिर भी आगे बढ़ना नहीं छोड़ा.
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