Conjunctivitis: बरसात के मौसम में बढ़ जाता है आई फ्लू का खतरा, जानिए लक्षण और बचाव के उपाय
Conjunctivitis: आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस का कारण बैक्टीरिया या वायरस होता है. डॉक्टरों का कहना है बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है. बीमारी की चपेट में आये मरीज से दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
Rajasthan News: बरसात के मौसम में कई बीमारियां घरों तक पहुंच जाती हैं. मुख्य रूप से मच्छर जनित डेंगू और मलेरिया के कारण पेट दर्द, उल्टी, बुखार, दस्त, सर्दी जुकाम आम बात है. बैक्टीरिया या वायरस से आई फ्लू का भी खतरा रहता है. मानसून सीजन में आई फ्लू (Conjunctivitis) से बचाव के लिए चिकित्सा विभाग ने एहतियात बरतने की अपील की है. कोटा के सीएमएचओ डॉ. जगदीश सोनी ने बताया कि आई फ्लू संक्रामक रोग है.
आंखों में सूजन, आंखों में खुजली होना, आंखों से पीले रंग का पीप आना, आंखों की पलकों का चिपकना आई फ्लू के लक्षण हैं. सीएमएचओ ने बताया कि बच्चों को आई फ्लू के साथ बुखार भी आ सकता है. ऐसी हालत में सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए. बीमारी की चपेट में आये मरीज से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. वरना आपको भी संक्रमित होने का खतरा रहता है. आई फ्लू से बचाव के लिए हाथों को साबुन या सेनीटाइजर से साफ रखे. आंखों को बार-बार ना छुएं.
आई फ्लू से कैसे करें बचाव?
आंखों को साफ पानी से धोएं. संक्रमित व्यक्ति के तौलिये, रुमाल या अन्य कपड़ों के इस्तेमाल से बचें. भीड़-भाड़ वाले जगहों पर ना जाएं. आई फ्लू फैलने के दौरान पानी में ना तैरें. अपने वातावरण को साफ रखें. आंखों की सफाई के लिए साफ रुमाल का इस्तेमाल करें. आंखों को बार बार न छुएं और खुजली होने पर ना मस्लें. काले चश्में का इस्तेमाल करें.
कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग ना करें. खुद से दवा लेने के बजाय डॉक्टर की सलाह लें. आंखों में धुंधलापन और ऊपर दिए गए लक्षणों में अत्यधिक समस्या आने पर या किसी प्रकार की सर्जरी के बाद आई फ्लू होने पर तुरन्त नेत्र चिकित्सक से सलाह लें.
ये भी पढ़ें-