Kota News: कोटा में बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा, शमशान पहुंचकर दी मुखाग्नि
Kota: पिता की मौत के बाद बेटे को पाग (पगड़ी) बांधी जाती है, लेकिन पतरामदास को बेटा नहीं था. वह हमेशा अपनी बेटियों को बेटे के समान ही समझते रहे. इसी के चलते बेटियों ने ही बेटों का फर्ज अदा किया.
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Rajasthan News: राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) के इटावा (Etawah) में एक पिता को बेटा नहीं होने पर बेटियों ने ही उनको मुखाग्नि दी और उनके बाद अंतिम संस्कार की सभी प्रक्रियाओं को पूरा किया. दरअसल, इटावा में पतरामदास का निधन 17 जनवरी को हो गया था. दास को कोई बेटा नहीं था. ऐसे में उनकी बेटियां प्रमिला और रीना ने पिता की मौत के बाद उन्हें कंधा दिया और शमशान तक पहुंचीं. उसके बाद वहां पिता को मुखाग्नि दी. उसके बाद अंतिम संस्कार की सभी प्रक्रियाओं को पूरा किया.
बेटे के बंधती है पाग, लेकिन यहां बेटियों के बांधी गई
पिता की मौत के बाद बेटे को पाग (पगड़ी) बांधी जाती है, लेकिन पतरामदास को बेटा नहीं था. वह हमेशा अपनी बेटियों को बेटे के समान ही समझते रहे. इसी के चलते बेटियों ने ही बेटों का फर्ज अदा किया. समाज के लोग बाहवें की रस्म के लिए गांव में पहुंचे तो सभी ने बेटियों को ही पाग बांधी. परिजनों ने भी उन्हें बेटों की तरह ही सम्मान दिया. प्रमिला का कहना है कि बेटा नहीं होने पर उनके पिता हमेशा कहते थे कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होती.
बैरवा समाज है काफी पिछड़ा
प्रमिला ने कहा कि उनके पिता हमेशा कहा करते थे कि, बेटों की अपेक्षा बेटियां ही माता पिता का ज्यादा ध्यान रखती हैं. माता पिता के हर सुख दुख में बेटियां ही सबसे पहले खड़ी नजर आती हैं. बता दें कि बैरवा समाज काफी पिछड़ा समाज है, लेकिन अब ये तेजी से आगे बढ रहा है. समाज के लोगों का कहना है कि यह सामाजिक और समानता का कदम है. समाज के साथ ही बेटियों को भी बेटों के समान दर्जा दिए जाने से समाज के लोग में खुशी है.
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