Rajasthan: कूनो की तर्ज पर कोटा मुकुंदरा और रामगढ़ में बसाए जा सकते हैं चीते? वन मंत्री को इस संस्था ने दिया न्योता
Mukundra Hills Tiger Reserve: मुकुंदरा-रामगढ़ टाइगर नाम की संस्था ने मुकुंदरा में आवागमन के लिए गाड़ियों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया है. हालिया समय में यहां पर सिर्फ एक जिप्सी रजिस्टर्ड है.
Kota News: कोटा के मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व में टाइगर के साथ चीतों को बसाने की मांग उठने लगी है. वन्यजीव प्रेमियों ने इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. मुकुंदरा-रामगढ़ टाइगर संस्था ने कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ चीतों को भी आबाद करने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया है. संस्था की तरफ से कहा कि यदि इस बाघ परियोजना में चीतों को भी आबाद कर दिया गया तो यह देश की ऐसी पहली परियोजना होगी जहां बाघों के साथ चीतों का भी आवास होगा.
मुकुंदरा-रामगढ़ टाइगर संस्था के दौलत सिंह शक्तावत और देवव्रत सिंह हाडा के नेतृत्व में एक दल कोटा से जयपुर पहुंचा, जहां उन्होंने राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा से मुलाकात कर कहा कि कोटा और झालावाड़ जिले में विस्तृत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वर्तमान में एक बाघ और एक बाघिन हैं. जबकि यहां रणथंभौर से ओर एक बाघ और एक बाघिन को छोड़ने की राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर इस दिशा में गंभीरता से प्रयास नहीं किए जाने के कारण बाघों को ला पाना संभव नहीं हो पाया है.
सरिस्का में बढ़ी बाघों की संख्या
संस्था के कौशल बंसल ने कहा कि बाघ परियोजना क्षेत्र में वर्तमान में कम से कम एक नर और दो मादा बाघिन रणथंभौर से लाकर छोड़ने की आवश्यकता है, जैसा कि बीते सालों में अलवर जिले के बाघरहित हो गए सरिस्का अभयारण्य में किया गया था. जहां दो नर और मादा बाघ को छोड़ा गया था, जिनकी संख्या अब बढ़कर शून्य से 30 हो गई है.
'पिछली सरकारों ने नहीं दिखाई रुची'
संस्था के दौलत सिंह शक्तावत ने वन मंत्री को बताया कि करीब दो साल पहले प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूना अभयारण्य में दक्षिणी अफ्रीका-नामीबिया से लाकर चीतों का पुनर्वास किए जाने के पहले, अफ्रीका से आए चीता विशेषज्ञों ने भविष्य में चीते बचाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए देश के कई अभयारण्य क्षेत्रों का अवलोकन किया था. उन विशेषज्ञों ने मुकुंदरा बाघ परियोजना क्षेत्र में स्थित सावनभादो इलाके के 84 वर्ग किलोमीटर के फेंसिंग एरिया को चीतों को बसाने की दृष्टि से काफी मुफीद पाया था, उन्होंने माना था कि वहां चीते बसाने के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं. हालांकि पिछली सरकार के शासनकाल के दौरान इस दिशा में गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए.
'कूनों की तरह मुकुंदरा में भी चीता बसाने की संभावना'
जिसका नतीजा यह निकला कि कूनो अभयारण्य में न केवल पहली खेप में लाए अफ्रीकी चीतों को बसाया गया बल्कि दूसरी खेप में भी कूनों में ही फिर से चीते लाकर छोड़े गए. उस समय अगर राज्य सरकार ने गंभीरता से प्रयास किए होते तो दूसरी खेप के चीतों को मुकुंदरा के दरा क्षेत्र में आबाद किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यदि इस बार परियोजना क्षेत्र में चीतों को बसाया गया तो यह देश की पहली ऐसी परियोजना होगी जहां बाघों के साथ चीतों का भी आवास होगा, इससे निश्चित रूप से कोटा संभाग में देसी-विदेशी पर्यटक को काफी बढ़ावा मिलेगा. वन पर्यटन की दृष्टि से रणथंभौर और सरिस्का के बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में अपार संभावनाएं मौजूद हैं.
'पर्यटकों के घूमने के लिए गाड़ियों को बढ़ाने की मांग'
मुकुंदरा-रामगढ़ टाइगर संस्था के सदस्यों ने वन मंत्री से मुकुंदरा वन अभ्यारण्य में पर्यटकों के आने और आवागमन के लिए अन्य गाड़ी चलाने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया. इस मौके पर बताया गया कि वर्तमान में केवल एक जिप्सी को मुकुंदरा क्षेत्र में पर्यटकों के आवागमन के लिए पंजीकरण हुआ है जो अपर्याप्त है. अब क्योंकि जिप्सी का बनना बंद हो गया है. इसलिए उसके विकल्प के रूप में महिंद्रा स्कार्पियो जैसे अन्य सुविधाजनक वाहनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. वन मंत्री ने मुकुंदरा-रामगढ़ टाइगर संस्था के प्रतिनिधियों की मांगो को गंभीरता से सुना और इस पर शीघ्र ठोस कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. संस्था के सदस्यों ने वनमंत्री को पीले चावल भेंट कर मुकुंदरा हिल्स टाईगर रिजर्व में शीघ्र आने का न्योता दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया.
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