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Rajasthan News: सीएम अशोक गहलोत की घोषणा 11 माह बाद भी अधूरी, कोटा को भुगतना पड़ रहा नुकसान
राज्य सरकार की 2022 की बजट घोषणाओं में सीएम गहलोत ने कोटा और उदयपुर में विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी. लेकिन 11 माह बाद भी कोटा नगर विकास न्यास को इसे बनाने का अध्यादेश जारी नहीं किया गया है.
![Rajasthan News: सीएम अशोक गहलोत की घोषणा 11 माह बाद भी अधूरी, कोटा को भुगतना पड़ रहा नुकसान Kota Development Authority in Kota Udaipur CM Gehlot Announced 11 months ago Rajasthan News: सीएम अशोक गहलोत की घोषणा 11 माह बाद भी अधूरी, कोटा को भुगतना पड़ रहा नुकसान](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/19/0f579061b0eb7750d82866a370bb6dca1674112042524646_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Kota Development Authority: कोटा में विकास कार्यों की बौछार हो रही है, जगह-जगह विकास कार्य चल रहे हैं, हजारों करोड़ के कार्य कोटा में हो चुके हैं और होने बाकी भी हैं. ऐसे में सरकार की बजट घोषणाएं क्रियान्वित तो हो रही हैं, लेकिन कुछ ऐसे बड़े प्रोजेक्ट भी हैं जो अधरझूल में हैं. इसमें कोटा को पूर्व के बजट में मिली थी सबसे बड़ी सौगात भी शामिल है जो अधूरी पड़ी है. कोटा और उदयपुर को विकास प्राधिकारण बनाए जाने के लिए सरकार ने करीब 11 माह पहले घोषणा की थी, जो अभी तक अमल में नहीं लाई जा सकी है, जिससे बड़े नुकसान कोटा को भुगतने पड़ रहे हैं.
राज्य की कांग्रेस सरकार की 2022 की बजट घोषणाओं में पिछले वर्ष 23 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा और उदयपुर में विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी. लेकिन पूरे 11 महीने गुजरने के बाद भी कोटा नगर विकास न्यास को कोटा विकास प्राधिकरण बनाने का अध्यादेश और अधिनियम जारी नहीं किया गया है.
कोटा विकास प्राधिकरण बनते ही वित्तीय शक्तियों में होगा इजाफा
बजट 2022-23 की घोषणाओं पर राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2022 को अमल करना शुरू कर दिया था. कोटा विकास प्राधिकरण बनाने की घोषणा होने के बाद राज्य सरकार के यूडीएच विभाग ने जरूरी सूचनाएं नगर विकास न्यास कोटा से मांगी थी, लेकिन उन सूचनाओं के बाद अब तक कोटा विकास प्राधिकरण का अधिनियम राज्य सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है. जिसके चलते कोटा के विकास प्राधिकरण का सपना अधूरा है. कोटा में विकास प्राधिकरण का गठन होने के साथ कोटा का विकास कराने के लिए कोटा में कई वित्तीय शक्तियां निहित हो जाएगी. जिससे विकास कार्यों की फाइलें और अन्य फाइलों के लिए कोटा की जनता को राज्य सरकार के अनुमोदन होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और जयपुर के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे.
आरडी मीणा, यूआईटी नगर नियोजक कोटा ने इस बारे में कहा है कि यह राज्य सरकार का मामला है, जो भी कुछ होगा राज्य सरकार करेगी, हमारे स्तर पर कुछ नहीं हैं, हमारी ओर से सभी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है, ये मामला राज्य सरकार के अधीन है, वहीं से होगा.
10 करोड़ से अधिक के विकास कार्यों की फाइलों का होगा अनुमोदन
विकास कार्यों की फाइलें वर्तमान में 10 करोड़ से अधिक के विकास कार्यों की फाइलों के टेंडर अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजी जाती हैं, केडीए के गठन होने के बाद ये फाइलें कोटा में ही अनुमोदन हो सकेगी. इनको जयपुर भेजने की जरुरत नहीं होगी. कोटा के विकास कार्या के लिए बजट का प्रावधान भी काफी ज्यादा बढ़ जाएगा.
5 तरह की कमेटियां होंगी
पांच तरह की कमेटियों के गठन होने से छोटे-बड़े मामलों की अनुमति के लिए राज्य सरकार के पास फाइल नहीं जाएगी. ये कमेटियां इस प्रकार की होगी:-
1. एक्जूकेटिव कमेटी
2. ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड
3. लैंड एंड प्रोपर्टी कमेटी
4. बिल्डिंग प्लान कमेटी
5. प्रोजेक्ट वर्क कमेटी
कोटा विकास प्राधिकरण के ये होंगे फायदे
1. फ्लाईओवर, पुल, पार्किंग स्थानों के निर्माण से कोटा के क्षेत्र का ढांचागत विकास.
2. वाणिज्यिक परियोजनाओं और आवासीय योजनाओं का विकास आदि.
3. सामुदायिक केंद्रों, पार्कों, रिंग रोड जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास.
4. कच्ची बस्तियों का विकास और पुनर्वास आदि.
5. मास्टर प्लान की तैयारी और कार्यान्वयन.
6. उपनिवेशीकरण के लिए दिशा-निदेर्शों की तैयारी और कार्यान्वयन.
7. सड़क के किनारे पौधारोपण की योजना बनाना और उसे लागू करके पर्यावरण के अनुकूल योजनाओं को विकसित करके पर्यावरणीय विकास.
8 कोटा के आसपास ग्रामीण क्षेत्र का विकास.
9. MRTS यानि मास रैपिड जैसी परिवहन सुविधाओं, परिवहन प्रणाली, ट्रांसपोर्ट नगर और प्रमुख क्षेत्र की सड़क का विकास
ऐसा होगा कोटा विकास प्राधिकरण का स्वरूप
कोटा विकास प्राधिकरण का गठन होने के बाद केडीए में 70 तरह के पद होंगे. जिनमें सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारियों की पोस्टिंग होगी.
1. कोटा विकास प्राधिकरण का पदेन अध्यक्ष- यूडीएच मंत्री
2. कोटा विकास आयुक्त
3. कोटा विकास आयुक्त सचिव
4. निदेशक, (1) निदेशक अभियांत्रिकी प्रथम/द्वित्तीय, (2) निदेशक वित्त (3) निदेशक विधि, (4) निदेशक आयोजना (5) उपमहानिरीक्षक (परिवर्तन), (6) वन संरक्षक, (7) अतिरिक्त आयुक्त- कोटा उत्तर, दक्षिण, लाडपुरा, रामगंजमंडी (8) अतिरिक्त आयुक्त (प्रशासन), (9) संयुक्त रजिस्ट्रार (सहकारिता), (10) संयुक्त आयुक्त (सिस्टम मैनेजमेंट), (11) संयुक्त आयुक्त (संसाधन, विकास एवं समन्वयक)
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