Mahavir Jayanti 2023: सकल जैन समाज के दोनों प्रमुख घटक दिगम्बर जैन और श्वेतांबर के सामुहिक प्रयास से पहली बार दोनों घटक एक साथ एक शोभायात्रा में शामिल हुए. अहिंसा पदयात्रा नए कोटा क्षेत्र में निकाली गई. पदयात्रा में नगरीय विकास और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल करीब 5 किमी पैदल चले. अहिंसा, शांति और एकता का संदेश लेकर पदयात्रा शहर के क्षेत्रों से निकाली गई. महिलाओं के हाथों में भगवान महावीर के सिद्धांतों के संदेश लिखी तख्तियां थी वहीं बालिका और युवा मण्डल भजनों पर थिरकते हुए चल रहे थे.


पुरुष वर्गों के हाथों में धर्म ध्वजा थी जिसे लेकर भगवान महावीर के जयकारे लगाते हुए पुरुष आगे बढ़े. पदयात्रा के साथ भजन मंडली, डी जे साउंड भी था जिसपर आध्यात्मिक पाठशाला के नन्हे मुन्ने भक्ति नृत्य करते चल रहे थे. पदयात्रा मार्ग में 108 स्वागत द्वार बनाकर पूरे मार्ग में रंगोली सजाई गई. सड़कों के दोनों और लोग पदयात्रियों का स्वागत करते नजर आए. पदयात्रा 5 किमी का सफर तय करके दानबाड़ी पहुंची जहां सभा में बदल गई. जिसमें बारी बारी से दोनों समाजों के पदाधिकारियों ने सभा को सम्बोधित कर पदयात्रा में जैन समाज की एकता को देख हर्ष व्यक्त किया और भगवान महावीर के संदेशों पर प्रकाश डाला.




45 इंदिरा रसोई में 10 हजार लोगों ने किया नि:शुल्क भोजन
नगरीय विकास और स्वायत्त शासन मंत्री धारीवाल ने कहा कि जैन समाज अपने संविधान में आवश्यक रूप से दर्ज कर लें कि सदैव समाज की एकता के लिए इस तरह के कार्यक्रम निश्चित तौर पर किए जाएं और दानबाड़ी में इस तरह कार्यक्रम सदैव इसी मंच से होते रहें. साधु सेवा समिति की ओर से शहर की 45 इंदिरा रसोई के माध्यम से जरूरतमंद लगभग 10 हजार लोगों को मुंह मीठा कराकर भोजन कराया गया. पिछले काफी समय से राजस्थान में निजी चिकित्सकों की चल रही हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों खासतौर पर महाराव भीमसिंह और जे.के. लोन अस्पताल में अच्छी खासी भीड़ है. इसी के चलते दोनों अस्पतालों में ही लगभग डेढ़ दो हजार लोगों ने भोजन किया.  




   
पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के घर भगवान महावीर का जन्म
भगवान महावीर का जन्म कल्याणक चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को बिहार के वैशाली नगर के कुण्डलग्राम में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के घर में हुआ था. भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा,सत्य,अचौर्य,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का सिद्धांत बताया. 72 वर्ष की आयु में भगवान महावीर को पाँवापुरी से निर्वाण प्राप्त हुआ. प्रत्येक चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को सम्पूर्ण विश्व में भगवान महावीर स्वामी का जन्मकल्याणक मनाया जाता है. 


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