Kota News Today:  राजस्थान के कोटा में इन दिनों जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारी स्टूडेंट्स से लगातार संवाद कर रहे हैं. अधिकारी उन्हें मोटिवेट कर सकारात्मक माहौल देने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. यही नहीं स्टूडेंट्स की समस्याओं को सुना जा रहा है और जल्द से जल्द उसके समाधान की कोशिश की जा रही है.


कोटा में इन दिनों देशभर से बच्चे नीट, जेईई मेंस, जेईई एडवांस्ड सहित अलग- अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पहुंच रहे हैं. जिन्हें कोचिंग में अलग-अलग सेशन में मोटिवेट किया जा रहा है. इस काम में जिला प्रशासन भी जुटा हुआ है, जिससे स्टूडेंट्स के सामने कोई परेशानी होने पर उसके समाधान के कई विकल्प मौजूद हों. 


इसी सोच के साथ लगातार जिला कलेक्टर कोचिंग में जा रहे हैं. इसके अलावा कोटा के सभी हॉस्टल को लगातार चेक कर रहे हैं. जिला कलेक्टर बच्चों के साथ खाना खा रहे हैं और उनके साथ संवाद कर उनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. खासकर उन्हें डिपरेशन से दूर रखते हुए मोटिवेट कर रहे हैं.


'नहीं करें किसी से अपनी तुलना' 
जिला कलक्टर डॉ रविंद्र गोस्वामी ने अलग-अलग परीक्षा की तैयारी में जुटे स्टूडेंट्स से कहा कि किसी से अपनी तुलना नहीं करें. दो इंसान एक जैसे नहीं हो सकते, यहां तक की दो परमाणु भी एक जैसे नहीं होते हैं इंसान तो बहुत बड़ी बात है.


उन्होंने कहा कि खुद को लोगों के साथ कंपेयर न करें. सभी के हालत अलग-अलग हैं. इसलिए अपना मुकाबला खुद से ही रखो, दूसरों से अपनी तुलना मत करो. कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने एजुकेशन द्रोण कैम्पस में विद्यार्थियों से संवाद के दौरन उनके सवालों के जवाब दिए और उनके साथ अपने अनुभव साझा किए.


'लक्ष्य को पाने में सोशल मीडिया सबसे बड़ी बाधा'
डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने सोशल मीडिया से सचेत रहने की सलाह देते हुए कहा कि जिस उम्र में और जिस लक्ष्य के लिए आप आए हैं, उस उद्देश्य में ये आपका दुश्मन है. आप जिस दिन कामयाब हो जाओगे, खूब फॉलोअर्स मिलेंगे, लेकिन अभी ये बाधा के अलावा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें वो करना चाहिए जो काम अच्छा महसूस करवाए.


स्टूडेंट्स को मोटिवेट करते हुए जिला कलेक्टर ने कहा कि अच्छा काम करने के बाद उत्साह मिलता है. बुरा काम करके दिल पर बोझ महसूस होता है. उन्होंने कहा कि हम एक घंटा रील देखने में बिताने के बाद जब सोचते हैं तो लगता है, एक घंटा खराब हो गया, इसलिए यह गलत है. मेरी सलाह है कि विद्यार्थियों को अपने मोबाइल फोन से सोशल मीडिया हटा ही देना चाहिए.


नोट्स कैसे बनाएं?
एक छात्र के सवाल के जवाब में जिला कलेक्टर ने कहा कि नियमित और अनुशासित मेहनत से आप आसानी से सफल हो सकते हैं. रोजाना 7-8 घंटे पढ़ें और इसके अलावा जो आपको करना है करें. तनाव हावी न हो, इसलिए अपने शौक जिंदा रखिए. 


एक सवाल के जवाब में डॉ गोस्वामी ने कहा कि नोट्स में लिखावट कम होनी चाहिए. नोट्स बनाते समय ऐसे की वर्ड्स लिखें, जिसे देखते ही पढ़ा हुआ तुरंत याद आ जाए. ट्री, डायग्राम या ग्राफ्स कुछ भी ऐसी ट्रिक्स अपनाएं जो आपको सीखा हुआ याद दिला दे.


एनर्जेटिक महसूस करने पर पढ़े ये विषय
पढ़ाई करने का सही समय बताते हुए जिला कलेक्टर डॉ गोस्वामी ने कहा कि पूरे दिन में एक समय ऐसा होता है जब आप सबसे ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करते हैं. हर व्यक्ति का एनर्जी टाइम अलग होता है. किसी को सुबह पढ़ना अच्छा लगता है तो किसी को देर रात जागकर पढ़ना अच्छा लगता है. 


उन्होंने कहा कि आप तय करें कि आपको कब पढ़ना अच्छा लगता है जो भी आपका हाई एनर्जी वाला टाइम है, उसमें कठिन विषय पढ़ें तो समझना आसान रहेगा. इस दौरान संस्थापक और सीईओ नितिन विजय ने भी बच्चों को मोटिवेट किया.


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