Kota Collector in Coaching Centre: कोटा जिला कलेक्टर डॉ रविन्द्र गोस्वामी कोचिंग स्टूडेंट्स से लगातार संवाद बनाए हुए हैं. कभी कलेक्टर मैस में पहुंचते हैं तो कभी छात्रों की क्लास में जाकर सफलता के टिप्स देते हैं. डॉ रविन्द्र गोस्वामी स्टूडेंट्स के साथ अपने अनुभव सांझा कर उन्हें मोटिवेट करते हैं. इस बार कलेक्टर कोटा के एक कोचिंग क्लास में पहुंचे और कोटा में बिताए अपने दिनों के बारे में छात्रों को बताया. 


जिला कलेक्टर एक बार फिर एक शिक्षक के रूप में जवाहर नगर में मौजूद सत्यार्थ कैम्पस में नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे. उन्होंने स्टूडेंट्स को परीक्षा की तैयारियों के कुछ बेसिक टिप्स देने के साथ-साथ माता-पिता और अन्य परिजनों के साथ नियमित संवाद करने के लिए भी प्रेरित किया. इसके साथ ही पढ़ाई के दौरान, उन्होंने जो फेस किया और उसका समाधन कैसे निकाला उस बारे में छात्रों को बताया.


हर सवाल को 2 बार पढ़ें- कलेक्टर गोस्वामी


जिला कलेक्टर ने स्टूडेट्स से कहा कि परीक्षा में कई सवाल सिर्फ स्टूडेंट्स को कन्फ्यूज करने के लिए बनाए जाते हैं, ये सवाल हमें पढ़ने में बहुत आसान लगते हैं और हम गलतियां कर बैठते हैं. ऐसे में मेरा आप सभी को सुझाव है कि जो सवाल एक बार पढ़ते ही समझ आ जाए, फिर भी उसे दो बार जरूर पढ़ें. मैं तो सवालों को अंडरलाइन करके पढ़ता था ताकि अंत तक पढ़ सकूं. इसके साथ ही टेस्ट पेपर्स नियमित रूप से हल करते रहें. 


'परिजनों से अपनी प्रॉब्लम्स जरूर करें शेयर'


रविन्द्र गोस्वामी ने स्टूडेंट्स से बातचीत करते हुए बताया कि रोजाना अपने पेरेंट्स से बात किया करो. मैं आज भी सबसे पहला कॉल पापा-मम्मी को ही करता हूं. उन्हें रोज अपने दिन के बारे में बताता हूं. आपने क्या पढ़ा, क्या समझ आया, क्या समझ नहीं आया, सब कुछ उनसे शेयर करो. आपके सब्जेक्ट की बातें उन्हें समझ न आएं, लेकिन आपकी समस्या का समाधान वो जरूर दे सकते हैं.


कलेक्टर गोस्वामी ने आगे अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि मैं भी पेरेंट्स को अपनी प्रॉब्लम्स बताता था. एक बार मैंने पापा से कहा कि तीन-चार दिन से लगातार कोशिश के बाद भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तो इस पर पापा ने मुझे सुबह नहाकर रोजाना भगवान का पूजा कर पढ़ाई करने को कहा. मैं इस बात को आज भी फॉलों करता हूं. ऐसा हो सकता है कि आपकी समस्या का समाधान आपके परिजन कुछ अलग तरीके से बताएं, लेकिन ये तय है कि आपकी समस्या का समाधान उनके पास हैं, क्योंकि वो आपको अच्छी तरह से जानते हैं कि आप किस परिस्थिति में क्या कर सकते हैं.


'ये मत कहो कि टाइम नहीं मिलता'


कलेक्टर ने एक स्टूडेंट के सवाल पर कहा कि ये मत कहो कि टाइम नहीं मिलता. हमें 10-15 मिनट का टाइम कभी भी मिल सकता है, ये हम पर निर्भर करता है कि हम सोशल मीडिया को टाइम देना चाहते हैं या माता-पिता से बात करने को प्राथमिकता देते हैं. समय निकालकर माता-पिता से बात करने की आदत को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. इससे पूर्व भी जिला कलेक्टर डिनर विद कलेक्टर के माध्यम से कई बार कोचिंग स्टूडेंट्स के साथ भोजन करते रहे हैं.


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