Kota Student Suicide Cases: राजस्थान के कोटा (Kota) में लगातार हो रहे कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामले को लेकर कोटा जिला कलेक्टर डॉक्टर रविन्द्र गोस्वामी ने बच्चों के नाम पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने बच्चों को मोटिवेट करने का प्रयास किया है. पत्र में कलेक्टर ने लिखा कि 'हजार बर्क गिरें लाख आंधियां उठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं.'


उन्होंने आगे लिखा कि 'साहिर साहब की ये पंक्तियां इस जीवन के संघर्षों पर विजय और ईश्वर के उसमें योगदान को पूरे तौर पर रेखांकित करती हैं. कुछ समय बाद आप नीट और जेईई के पेपर देंगे. प्यारे बच्चों आपको यह याद रखना है कि हर असफलता आपको मौका देती है जीवन में की गई गलतियों को जीतकर उसे सफलता में बदलने का.'


कोटा कलेक्टर का स्टूडेंट्स के नाम पत्र
जिला कलेक्टर ने कहा कि 'जैसा कि मेरे साथ आप लोगों की बातचीत में ये निकलकर आया है कि, ये परीक्षा एक पड़ाव मात्र है न की मंजिल है. इसमें फेल होना, आपके जीवन की दिशा निर्धारित नहीं कर सकता है. मैं खुद इसका उदाहरण हूं, मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूं, क्योंकि हम केवल मेहनत कर सकते हैं फल देना ईश्वर का काम है और वो ईश्वर कभी अपने कर्तव्य में चूक नहीं कर सकता हैं. इसलिए वो हमें सफल बना रहा है तो वो ठीक है और यदि असफल कर रहा है तो शायद वो हमारे लिए दूसरा रास्ता चुन रहा है.'


'इसलिए आपको मुझे बस इतना कहना है कि आप इस महान भारत की महान संतान हैं और केवल एक परीक्षा को आपके लक्ष्य प्राप्ति की कसौटी नहीं माना जा सकता है. आप चल रहे हो तो गिरोगे भी, लेकिन सार्थकता तब ही है जब आप गिर कर उठो और फिर अपनी मंजिल की ओर चलो, बिना रुके, बिना थके, ताकि इस देश को आप पर गर्व हो सकें.'


कलेक्टर ने परिजनों के नाम लिखा पत्र
वहीं कोटा में पढ़ रहे विभिन्न स्टूडेंट्स के परिजनों के लिए जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने पत्र लिखकर उनके बच्चों की क्षमताओं को पहचाने, रुचियों को समझने, मात्र परीक्षा में सफलता के आधार पर आकलन नहीं करने की अपील की. उन्होंने पत्र लिखकर कहा कि 'कुछ समय बाद नीट और जेईई की परीक्षाएं होनी है. आपने अपने बच्चे को पढ़ने के लिए सब सुविधाएं भी दी होंगी. कोचिंग, कमरा और खाना, इसके अलावा भी आपने जो समर्पण किया है अपनी संतानों के लिए उसका दूसरा कोई समानांतर उदाहरण नहीं है.'


'मां बाप के लिए अपने बच्चे की खुशी से बढ़कर कोई और खुशी नहीं हो सकती. समस्या तब खड़ी होती है जब हम बच्चे की खुशी को उसके किसी परीक्षा में लाए गए नंबरों से जोड़कर देखते हैं. क्या कोई भी परीक्षा पास करने मात्र से व्यक्ति सफल हो जाता है? शायद नहीं. सफलता तो आत्मिक अनुभूति है, जो किसी कार्य को तन्मयता से करने में प्राप्त होती है. हो सकता है बच्चे ने पूरी मेहनत की हो, लेकिन उस दिन उसका दिन खराब हो. हो सकता है बच्चा मेहनत करता हो, लेकिन उसका लगाव उस विषय में ना हो. हो सकता है वो एक मछली हो और अभी वो उड़ने की दौड़ में दौड़ रहा हो.'


'विश्व में कोई नहीं जो फेल ना हुआ हो'
उन्होंने कहा कि 'इसलिए मैं बस इतना चाहता हूं कि आप अपने बच्चे को मौका दें. गलती करके सुधारने का, जैसा मेरे माता पिता ने दिया जब में कोटा से वापस घर चला गया था. क्योंकि तब वो जो भी करेगा पूरे मन से करेगा आपके लिए करेगा. अगले कुछ दिन उस से नियमित बात करें और समझाएं कि पूरे विश्व में कोई नहीं जो फेल ना हुआ हो, कोई नहीं जिसने गलती ना की हो और हर सफल व्यक्ति डॉक्टर या इंजीनियर बनके ही सफल हो यह भी जरूरी नहीं.'


'मुझे कई बार बच्चे डिनर विद कलेक्टर में पूछते हैं कि यदि मैं फेल हुआ तो मेरे माता पिता मुझसे कभी बात नहीं करेंगे? मैं हर बार उनको विश्वास दिलाता हूं कि वो आपके फेल-पास से दुखी और खुश नहीं होंगे, बल्कि आपकी खुशी से खुश होते हैं, आप जो भी करें मन लगाकर करें तो वो खुश रहेंगे. मैं उम्मीद करता हूं आपके प्रतिनिधि के तौर पर मेरे द्वारा कही गई इन बातों का आप मान रखेंगे और इस महान भारत की महान संतानों को वो विश्वास देंगे जिसकी उनको आज सबसे ज्यादा जरूरत है.'



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