Kota News: राजस्थान के कोटा जिले में किसान परम्परागत खेती के साथ अब फलों की खेती यानी बागवानी की और आगे आ रहे हैं ताकि मौसम की मार से बच सकें. साथ ही नए प्रयोग से अधिक पैदावार कर ज्यादा लाभ अर्जित कर सकें. इसके लिए कृषि विभाग भी तेजी से प्रयोग कर किसानों को लाभांवित कर रहा है. कोटा में अमरूद की खेती से मिली पहचान के बाद अब किसानों की अनार की खेती की ओर आगे बढ़ रहा है.
अमरूद की तरह ही किसान अनार की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास में जुटे हुए हैं. ये प्रयोग सफल रहा तो निकट भविष्य में यहां अनार की भी बंपर पैदावार होने लगेगी. उद्यान विभाग ने भी यहां के वातावरण को अनार उत्पादन के लिए अनुकूल बताया है.
अनार की खेती के लिए सितंबर-अक्टूबर में उपयुक्त समय
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अनार की अच्छी फसल होती है तो किसानों को मुनाफा अधिक होगा. अनार के पेड़ों पर वर्ष में दो बार फूल और फल आते हैं. एक तो सितंबर और अक्टूबर और दूसरा मई-जून में आते हैं. सितंबर और अक्टूबर में फल-फूल प्राप्त करने का उपयुक्त समय है. हालांकि मई और जून में गर्मी होने की वजह से और पानी पर्याप्त न मिलने से फल खराब होने की संभावना अधिक रहती है.
एक पौधे पर लगता 25 से 30 किलो फल
अधिकारियों ने बताया कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 400 पौधे लगाए जा सकते हैं. ये पांच-पांच मीटर की दूरी पर लगते हैं. इस बार अनार के पौधे लगाने का लक्ष्य मिलने की उम्मीद है. हालांकि अनार उत्पादन करने में किसानों को सबसे बड़ी परेशानी पौधे मिलने की आती है. ये पौधे यहां तैयार नहीं होते हैं. गुजरात या महाराष्ट्र से एक विशेष किस्म के पौधे तैयार किए जाते हैं जिन्हें कोटा लाया जाता है. विभाग किसान को यहां पर पौधे उपलब्ध करा देते हैं तो पैदावार को बढ़ावा मिलेगा.
देश में यहां अधिक पैदावार
उद्यान अधिकारियों का कहना है कि देश में सबसे ज्यादा अनार की पैदावार गुजरात व महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में होती है. अनार की पौध भी वहां पर नर्सिरियों में तैयार की जाती है. किसानों को चाहिए कि इन नर्सरियों में तैयार अनार का पौधा ही खेतों में लगाए. क्योंकि पैदावार अच्छी मिलती है.
कोटा जिले में यहां हो रहे प्रयोग
अधिकाधिक अनार की खेती का प्रयोग जिले के पीपल्दा, सांगोद, रामगंजमंडी व अन्य जगह हो रहे हैं. पीपल्दा में एक किसान ने दो बीघा के खेत में अनार के पौधे लगाए हैं. पौधे लग गए हैं और जल्द ही इनसे अब फल प्राप्त होने वाले हैं. इस स्थिति को देख किसान काफी उत्साहित हैं. इसी तरह सांगोद क्षेत्र के एक किसान ने अनार की खेती शुरू की है. फल की गुणवत्ता ठीक रही तो आगामी समय में अन्य किसानों का रूझान भी इस दिशा में तेजी से बढ़ेगा.
किसान नेताओं का कहना है कि बागवानी की जानकारी किसान को कम होती है, ऐसे में विभाग को जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही जो भी समस्या किसान को आ रही हैं उसका त्वरित समाधान होना चाहिए. कोटा में किसानों को अनार की खेती के लिए प्रोत्साहन मिलना चाहिए. यहां अनार सहित अन्य फलों की खेती की प्रचुर संभावना है, क्योंकि कोटा में कहीं भी पानी की कमी नहीं हैं और वातावरण अनुकूल है.
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