Rajasthan Latest News: राजस्थान के कोटा जिले में स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार खाद्य पदार्थों की जांच कर रही है. लोगों की शिकायत मिलने पर सैंपल लेकर जांच करवाई जा रही है और यदि सैंपल गलत आर रहे हैं तो कार्रवाई भी की जा रही है. इसके साथ ही कई जगह नकली माल बन रहा है, तो उसे सीज किया जा रहा है और सम्बंधित शख्स के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. ऐसे में अब कोटा में लोग भी समझने लगे हैं कि यदि खाने-पीने की चीजों में मिलावट की, तो अधिकारी नहीं छोड़ेंगे. इसी वजह से कोटा राजस्थान में मिलावट की रोकथाम में प्रथम पायदान पर है.
खाद्य पदार्थों में मिलावट के रोकथाम के लिए प्रदेश में चलाए गए 'शुद्ध आहार-मिलावट पर वार' अभियान में कोटा जिला राज्य स्तर से जारी अप्रैल महीने की रैंकिग में भी पहले पायदान पर काबिज है. कोटा पिछले छह महीनों से पहले रैंक पर बना हुआ है. सीएमएचओ डॉक्टर जगदीश सोनी ने बताया कि फ्लेगशिप डिस्ट्रिक्ट महीने अप्रैल की रैंकिग में कोटा को 561 मार्क्स मिले, जो प्रदेश में सर्वाधिक है.
इन मापदंडों पर की जाती है रैंकिंग
सीएमएचओ ने बताया कि इस रैंकिग के निर्धारण में कई गतिविधियों को शामिल किया गया है. इनमें खाद्य पदार्थों के सैंपलिंग की निर्धारित संख्या, नए खाद्य रजिस्ट्रेशन और लाईसेंस जारी करना, लाइसेंस नवीनीकरण, एनुअल रिटर्न, परिवेदनाओं का सही समय पर निस्तारण, फॉस्टेक प्रशिक्षण, ईट राईट इनिशिएटिव, कोर्ट में सही समय पर चालान पेश करना, कोर्ट में डिसाईडेड केस की संख्या, खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा की गई रिपीटेड सैंपलिंग शामिल है.
इसके अलावा एफएसओ टीम द्वारा लिए गए सैंपलों की संख्या, चल खाद्य प्रयोगशाला वैन द्वारा लिए गए सैंपल, मीडिया कवरेज, सोशल मीडिया से प्रचार-प्रसार आदि मापदंडों के आधार पर यह रैंगिंक तय की जाती है. इनके अलावा विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारी संदीप अग्रवाल, चन्द्रवीर सिंह जादौन और नीतेश गौतम की कार्यशैली भी सराहनीय रही. अधिकारियों की जीरों टोलरेंस की नीति ने पूरे प्रदेश की रैंकिग में कोटा को पहले पायदान पर लाने में योगदान रहा.