Kota Student News: कोटा (Kota) में कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड को रोकने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. जिला प्रशासन के साथ हॉस्टल संचालक और अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं इसके लिए आगे आ रही हैं. जिला कलेक्टर डिनर विद कलेक्टर के माध्यम से छात्रों को मोटीवेट करने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं हॉस्टल ऐसोसिएशन हॉस्टल कर्मचारियों की गेटकीपर ट्रेनिंग करवा रहा है. दरअसल, हॉस्टल कर्मचारी को सबसे पहले पता होता है कि बच्चे का मूड कैसा है.
इस ट्रेनिंग में ये प्रयास किया जा रहा है कि यदि प्राथमिक तौर पर ही कर्मचारी बच्चों का मूड भांप ले और संबंधित स्टॉफ को सूचना दे तो सुसाइड की घटना रोकी जा सकती है. मंगलवार को राजीव नगर के एक निजी होटल में हॉस्टल कर्मियों की गेटकीपर ट्रेनिंग करवाई गई. जिला कलेक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने हॉस्टल कर्मचारियों को गीता का सार बताते हुए कहा कि बच्चे जब देश के अलग-अलग कोने से कोटा कोचिंग करने आते हैं, तो वह सभी बच्चे अर्जुन के समान और हॉस्टल कर्मचारी कृष्ण के समान होते हैं.
कोटा जिला कलेक्टर ने क्या कहा
जिला कलेक्टर ने कहा कि सब कर्मचारियों को अपने आप को कृष्ण और अपने-अपने हॉस्टल के बच्चों को अर्जुन मानते हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए, ताकि इन बच्चों द्वारा अच्छे राष्ट्र का निर्माण किया जा सके. वहीं कोटा हॉस्टल संचालकों की ओर से ये प्रयास किया जा रहा है कि यहां के हॉस्टलों में कर्मचारियों की गेटकीपर ट्रेनिंग कराई जाए. वहीं एडीएम सिटी बृजमोहन बैरवा ने हॉस्टल कर्मचारियों को बताया की कोटा आने वाले कोचिंग के बच्चों को ये एक प्रकाश स्तंभ नजर आता है, जहां वो सभी अपने सपने लेकर आते हैं.
उन्होंने कहा कि यहां आकर जब बच्चे अपने रहने के लिए आवास की तलाश करते हैं, तो आप सभी हॉस्टल कर्मचारियों की मौलिक ड्यूटी रहती है. आप सभी बच्चों से हमेशा संवाद कायम रखें, ताकि यहां बच्चों को खालीपन न लगे. कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने बताया कि गेटकीपर ट्रेनिंग में लगातार कर्मचारियों की संख्या बढ़ती जा रही है. यही नहीं एसोसिएशन का उद्देश्य भी इस गेटकीपर ट्रेनिंग को प्रत्येक हॉस्टल के कर्मचारियों तक पहुंचाना है.
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