Kota News: राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) ने कहा है कि देश में फसल और पशुधन उत्पादकता, न्यूनतम समर्थन मूल्य और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के कारण कृषि निर्यात में हमारी भागीदारी तेजी से बढ़ी है. कृषि उत्पादों के सकल निर्यातक के रूप में हमारे देश की नई पहचान बनी है. बता दें कि राज्यपाल दो दिवसीय कोटा (Kota) दौरे पर हैं. वे सोमवार को कोटा में कृषि विश्वविद्यालय (Agricultural University) के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की जो आर्थिक समीक्षा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने प्रस्तुत की है, उसके अंतर्गत वर्ष 2021-22 में हमारा कृषि निर्यात 50.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. यह कृषि क्षेत्र की हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है.




आधुनिक विकास की ओर अग्रसर कृषि


समारोह के दीक्षांत अतिथि कृषि शिक्षा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक और महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर पूर्व कुलपति डॉ. शांतिलाल मेहता थे. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अभय कुमार व्यास ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि देश का कृषि क्षेत्र इस समय बहुत सारी चुनौतियों के साथ आधुनिक विकास की ओर अग्रसर है.


उन्होंने रहा कि जमीन में पानी की कमी, जलवायु परिवर्तन और कृषि लागत में बढ़ोतरी वर्तमान में सबसे बड़ी कृषि चुनौतियां हैं. इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हमें भविष्य के लिए बेहतर कार्य की ओर अग्रसर होना है. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का अप्रतिम योगदान है. इसलिए इसे सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए कृषि शिक्षा अनुसंधान और प्रसार में प्रभावी और सार्थक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.


जैविक खेती की संख्या में सबसे आगे है भारत


उन्होंने कहा कि प्रसार शिक्षा के तहत हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि किसानों की आय तो बढ़े ही, उनकी कृषि पैदावार में भी विविधता का समावेश हो. भारत विश्व में जैविक खेती की संख्या में सबसे आगे है. भारतीय प्रयासों से आज पूरे विश्व में मोटे अनाजों पर चर्चा प्रारंभ हुई है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर मोटे अनाजों के महत्व के परिप्रेक्ष्य में ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष मनाने की घोषणा की है.




'भारतीय पहल पर मोटे अनाज की तरफ लौट रही दुनिया'
हमारे यहां आरंभ से ही मोटे अनाज की संस्कृति रही है. ज्यादातर लोग खाने में ज्वार, बाजरा, रागी, सामा आदि मोटे अनाजों का उपयोग करते रहे हैं. लेकिन, धीरे-धीरे लोगों ने मोटे अनाजों को अपनी थाली से दूर कर दिया. जिससे आज बहुत सारी पोषण संबंधित समस्याओं के साथ ही मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो रहा है. पोषण की समस्याओं से निजात पाने के लिए भारतीय पहल पर आज पूरी दुनिया उसी मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है.
 
23 विद्यार्थियों को मिला स्वर्ण पदक, 527 को उपाधियां
दीक्षांत समारोह के दौरान कृषि उद्यानिकी और वानिकी संख्याओं में कुल 527 अभ्यर्थियों को उपाधियां प्रदान की गई. जिनमें स्नातक के 434, स्नातकोत्तर की 86 और विद्यावाचस्पति के 7 अभ्यर्थी शामिल थे. दीक्षांत समारोह में कुल 23 अभ्यर्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए. जिसमें से आठ स्वर्ण पदक स्नातक अभ्यर्थियों को और 15 स्वर्ण पदक स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों को प्रदान किए गए. इन स्वर्ण पदकों में दो स्नातक अभ्यर्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक और 2 स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक दिया गया.




इस समारोह में अकादमिक वर्ष 2020-21 और 2021-22 की स्नातक, स्नातकोत्तर और विद्यावाचस्पति परीक्षाओं में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को उपाधि प्रदान की गई. अकादमिक वर्ष 2020-21 के लिए ऋषिका चौधरी को स्नातक उद्यानिकी और वर्ष 2021-22 के लिए निशा नेहरा को स्नातक ऑनर्स कृषि के लिए कुलपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया.


304 छात्र तथा 223 छात्राओं को मिलीं उपाधियां
अकादमिक वर्ष 2020- 21 के लिए हेमंत यादव को स्नातकोत्तर कृषि अनुवांशिकी और पादप प्रजनन और वर्ष 2021- 22 के लिए उदिति धाकड़ को स्नातकोत्तर कृषि शस्य विज्ञान को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले कुल 527 अभ्यर्थियों में से 304 छात्र तथा 223 छात्राएं शामिल रही. इसी प्रकार कुल 23 स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों में से 9 छात्र तथा 14 छात्राएं शामिल रही.


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