Kota News: स्टूडेंट्स डिप्रेशन में न करें सुसाइड, चल रहे इसके प्रयास, प्रशासन ने गेटकीपर ट्रेनिंग में दिए अहम टिप्स
Kamyab Kota Abhiyan: कोटा में पूरे देश से अलग- अलग परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए स्टूडेंट्स पहुंचते हैं. हालिया दिनों में हुई कई सुसाइड की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन ने कई अहम कदम उठाए हैं.
Kota News Today: कोटा में पूरे देश से लाखों बच्चे पढ़ाई के लिए आते हैं. यहां से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स डॉक्टर और इंजीनियर बनकर देश विदेश में सेवाएं दे रहे हैं और कोटा और भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. हालिया दिनों कोटा में सुसाइड की घटनाएं बढ़ी हैं. इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने और स्टूडेंट्स में डिप्रेशन की पहचान करने के लिए गेटकीपर की ट्रेनिंग दी जा रही है.
बच्चों के साथ अधिकांश समय बिताने वालों को उनके चेहरे के भाव से डिप्रेशन और स्वास्थ्य खराब होने की गेटकीपर ट्रेनिंग के जरिये बताया जाता है. इस तरह का कोई भी लक्षण पाए जाने पर संबंधित अधिकारी, हेल्पलाइन या हॉस्टल मालिक को बताना होगा जिससे समय पर पीड़ित की काउंसलिंग की जा सके.
स्टूडेंट्स को सकारात्मक माहौल देने का प्रयास
कोटा में सकारात्मक माहौल देने और कोचिंग स्टूडेंट्स की समस्याओं का समाधान करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है. इसी के तहत जिला प्रशासन के निर्देश पर गेटकीपर ट्रेनिंग का दूसरा चरण शुरू हो चुका है.
इसके तहत चम्बल हॉस्टल ऐसोसिएशन के सहयोग से लैंडमार्क सिटी में 465 से अधिक कोचिंग, हॉस्टल, मेस और संबंधित व्यवसाय से जुड़े लोगों को गेटकीपर ट्रेनिंग दी गई.
चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि डॉ हरीश और डॉ हिमांशु के जरिये गेटकीपर ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग के बाद सभी को जिला प्रशासन ने प्रमाण पत्र भी सौंपे गए. अब हॉस्टल संचालक उन्हीं लोगों को अपने यहां काम पर रखेंगे, जहां जिसने गेटकीपर ट्रेनिंग की हो.
'स्टूडेंट्स को परिवार जैसा माहौल देने की कोशिश'
विश्वनाथ शर्मा ने कहा कि कोटा पढ़ने आने वाले बच्चे हमारी जिम्मेदारी हैं. उन्हें घर से दूर परिवार जैसा माहौल मिले और उनकी हर समस्या का त्वरित समाधान हो, ऐसे में अगर कोई बच्चा चिंतित दिखे तो उसकी जानकारी साझा करें. उन्होंने कहा कि उनकी गतिविधियों पर हमारी नजर में हो, यह सब बेहद जरूरी है.
कोटा करियर के साथ केयर के लिए भी जाना जाए और हम पर परिजनों का विश्वास और भी गहरा हो ऐसे प्रयास किया जाने चाहिए. हम सभी को उत्साहित होकर बच्चों की केयर करनी होगी. विश्वनाथ शर्मा के मुताबिक, जिला प्रशासन द्वारा जबसे यह प्रयास शुरू किया गए तो इनके सकारात्मक परिणाम भी आए हैं. हम हमारा काम पूरी सजगता से करें ऐसा हम सभी को संकल्प लेना होगा.
'हर बच्चे की दिनचर्या पर रखें नजर'
ट्रेनिंग के दौरान डॉक्टर्स ने बताया कि कामयाब कोटा अभियान के तहत कोचिंग क्षेत्र में हॉस्टल संचालकों, मेस संचालकों, कोचिंग कार्मिकों के लिए गेटकीपर ट्रेनिंग गत वर्ष से शुरू की गई है. डॉक्टर्स और एक्सपर्ट ने बताया कि हम सभी को बच्चों की दिनचर्या पर नजर रखनी है.
डॉक्टरों के मुताबिक, स्टूडेंट्स के स्वभाव में बदलाव हो या कोई भी अलग से चीजें नजर आए तो संबंधित या ऐसोसिएशन को सूचित करें. ट्रेनिंग में विद्यार्थियों के व्यवहार, उनके द्वारा पूछे जाने वाले सवाल और उनके द्वारा किसी भी घटना से पहले दी जाने वाली चेतावनी को समझने के बारे में बताया गया.
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