Kota News: वक्त के साथ युवाओं का पहनावा लगातार बदलता जाता है. वहीं पारम्परिक परिवेश भी अब आधुनिकता के रंग में रंगे आते हैं, ताकि संस्कृति को संजोया जा सके. वहीं युवाओं को इस ओर आकर्षित किया जा सके. ऐसा ही पारम्परिक वेश अब लोगों की पसंद बनता जा रहा है. हम बात कर रहे हैं खादी की जिसका प्रचार प्रसार खुद महात्मा गांधी ने किया.


देश में एक समय खादी की जबदस्त मांग थी, लेकिन धीरे धीरे आधुनिकता के चलते लोगों में पहनावें में तेजी से परिवर्तन आया और पाश्चात्य सभ्यता हावी होती चली गई. लेकिन एक बार फिर भारत की खादी लोगों की पहली पसंद बन गई है. और इस खादी में भी कोटा की धोती देशभर में पसंद की जा ही है. अब ये विभिन्न रंगों में नेताओं के साथ उद्योगपति व युवाओं का पहनावा बन गया है. 


10 हजार की डिमांग लेकिन 2 हजार ही बना पा रहे 
धोती में तेजी से हावी हो गया है. कोटा में नए जमाने की मांग के अनुसार खादी की धोती बनाई जाती है, जिसकी देशभर में अच्छी मांग है. कोटा में खादी से बनी धोती को पूरे प्रदेश में पसंद किया जाता है. इसके साथ ही दिल्ली हरियाणा और मध्यप्रदेश में भी इसकी मांग है.कोटा ही एक मात्र इस खादी से बनी धोती का उत्पादक है. इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है और मांग प्रतिवर्ष 10 हजार धोती तक पहुंच गई लेकिन केवल दो हजार धोती ही बनाई जा रही है.


खादी ग्रामोद्योग आयोग की ओर से कोटा में हाडौती खादी ग्रामोद्योग समिति संचालित है. इस समिति के माध्यम से ही कोटा में कॉटन खादी व पोली खादी धोती बनाई जा रही है. यह धोती यहां तैयार की जाती है. समिति के प्रबंधन के मुताबिक प्रदेशभर में कहीं भी खादी की धोती नहीं बनने के कारण इसकी मांग ज्यादा है.  


सालाना 2 करोड़ की बिक्री, 200 लोगों को मिल रहा रोजगार 
हाड़ौती खादी ग्रामोद्योग समित सचिव कमल किशोर शर्मा का कहना है कि खादी ग्रामोद्योग आयोग की ओर से कोटा में हाड़ौती खादी ग्रामोद्योग समिति संचालित है. खादी की धोती के अलावा भी विभिन्न तरह से उत्पाद है. समिति के कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ व सवाईमाधोपुर में खादी भण्डार हैं. कोटा संभाग में एक ही खादी संस्था है, जो चारों जिलों में कार्य कर रही है. संस्था 2 सौ लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रही है. खादी उत्पादों की सालाना 2 करोड़ रुपए की बिक्री है.


गांधी जयंती पर मिलती है छूट
कोटा की धोती की कीमत 1508 रुपये है. हालांकि धोती पर समिति की ओर से फिलहाल 15 प्रतिशत की छूट है, लेकिन राज्य सरकार की घोषणा में इस पर 50 प्रतिशत तक छूट दी है. यह छूट 2 अक्टूबर से 31 जनवरी तक मिलती है. 


ऐसी है कोटा की धोती 
कोटा की धोती सफेद रंग में होती है यहां पोली धोती बनाई जाती है. इसकी लम्बाई 4.50 मीटर होती है और 1.35 मीटर चौड़ाई है. बारां जिले के मांगरोल के बुनकरों को ही इसे बनाने में महारत हासिल है. कोटा की कॉटन खादी व पोली खादी की धोती की सबसे अधिक मांग सवाईमाधोपुर, गंगापुर, दौसा, लालसोट, डूंगरगढ़, बीकानेर, दिल्ली-हरियाणा में है. इसके अलावा पूरे प्रदेशभर में धोती सप्लाई होती है. 


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