Kota Boycott Voting: एक और तो जिला प्रशासन वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने पर नए-नए नवाचार कर रहा है, लेकिन दूसरी और लोग मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं. स्थानीय समस्याओं को लेकर कोटा के एक क्षेत्र में मतदान के बहिष्कार की घोषणा की गई है. कोटा के नांता क्षेत्र में पिछले 20 सालों से लोग ट्रेंचिंग ग्राउंड की वजह से परेशान है और पिछले 5 साल से यह समस्या बढ गई है. ऐसे में स्थानीय निवासियों ने 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है.
पूरे शहर का कचरा यहां डाला जा रहा है. इससे निकलता धुआं लोगों के घरों के अंदर घुस रहा है जिस कारण लोगों को दमा, सांस की बीमारियां और आंखों में जलन जैसी शिकायत हो रही है. इस समस्या के समाधान के लिए कई बार प्रयास किया लेकिन इसका 20 सालों में कोई स्थाई समाधान नहीं हुआ, जिस कारण अब यह लोग मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं.
20 से 25 हजार लोगों को आ रही समस्या
कोटा के नांता क्षेत्र में आए दिन लोग यहां से पलायन करने की स्थिति में है या कुछ लोग मजबूरन यहां पर रहते हैं, करीब 25 हजार लोगों के लिए यह ट्रेंचिंग ग्राउंड जी का जंजाल बना हुआ है. लोकसभा चुनाव में इस बार क्षेत्र के कई लोगों ने मतदान के बहिष्कार का फैसला किया है. स्थानीय निवासियों का कहा है कि जब तक हमारी समस्या के समाधान का कोई ठोस आश्वासन या आधार नहीं मिलता तब तक हम अपने आंदोलन को जारी रखेंगे.
चिड़ियाघर के जानवर भी जहरीली गैस से परेशान
स्थानीय निवासी मुकेश गुर्जर का कहना है कि इस कचरा संग्रहण केन्द्र से बायलॉजिकल पार्क के जानवर भी जहरीली गैस से परेशान हो रहे हैं. बुर्जुगों को काफी परेशानी आ रही है. नगर निगम भी इस क्षेत्र में कोई ध्यान नहीं दे रही है 2018 में इस जगह कचरा डालने की स्वीकृति भी समाप्त हो चुकी है लेकिन उसके बाद भी अवैध रूप से यहां निरंतर कचरा डाला जा रहा है जिसमें प्लास्टिक, अस्पताल का कचरा, जहरीले द्रव्य, जानवर सहित सभी तरह का कचरा यहां डाला रहा है.
इसमें जो आग लगी हुई है उससे निकालने वाला जहरीला धुंआ घरों के बाहर लगे कूलर के माध्यम से घरों के अंदर पहुंच जाता है ऐसे में घर के अंदर एक अजीब सी स्मेल भर जाती है और दम घुटने जैसा वातावरण बन जाता है. लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है, आंखों में जलन होने लगती है, बुजुर्ग और बच्चों को तो सर्वाधिक समस्या देखने को मिल रही है. कई लोग इस बीमारी से अस्पताल तक पहुंच गए हैं. ऐसे में अब यह लोग मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं ताकि जिला प्रशासन इनकी बात को गंभीरता से समझे और इसका समाधान करें.
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