Rajasthan Lumpy Skin: लंपी वायरस  का प्रकोप राजस्थान के ज्यादातर जिलों में फैल चुका है. लेकिन पशुपालन विभाग खतरनाक वायरस के बाद भी नहीं चेता है. बूंदी में लंपी वायरस से निपटने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जिले का सबसे बड़ा पशु चिकित्सालय बदहाली के आंसू बहा रहा है. चिकित्सालय परिसर में चारों ओर गंदगी ही गंदगी है और गंदगी के बीच घायल गायों का इलाज किया जा रहा है.


अस्पताल का नजारा देखकर कहा जा सकता कि किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आनेवाला पशु ठीक हो जाएग. पशु चिकित्सालय की व्यवस्था बिगड़ने पर समाज सेवी और गौ सेवकों ने मोर्चा संभाल लिया.


टीम बनाकर समाजसेवी कैंपस की सफाई करने लगे. निजी खर्च पर गायों को ड्रिप लगाने लगे. समाज सेवी और गौ सेवक सुबह से लेकर शाम तक अस्पताल में मौजूद रहते हैं और गंभीर बीमारी वाले गोवंश की ड्रिप लगाकर जान बचा रहे हैं. गायों की देखरेख कर रहे कौशल कुमार ने बताया कि अस्पताल प्रशासन से व्यवस्था सुधारने की मांग की थी. लेकिन अब तक किसी ने सुध नहीं लिया. चारों ओर पानी जमा हुआ है मच्छर मंडरा रहे हैं. मच्छर और मक्खी से और बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है. मच्छर की जख्मों पर भरमार होने से गायों को और भी तकलीफ हो रही है. अस्पताल में पशुओं की दवाइयों का टोटा है. समय पर दवाई नहीं मिलती. निजी खर्चे पर दवा लाकर गायों की जान बचा रहे हैं.  


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विभाग के पास डेटा नहीं है मौजूद


पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. चंपा लाल मीणा का कहना है कि बीमारी फैली जरूर थी, लेकिन पास में कोई डाटा मौजूद नहीं है. उनसे पूछा गया कि संभाग के अन्य 3 जिलों में भी संक्रमण का मामला दर्ज हुआ था. उन्होंने कोई आंकड़ा होने से ही इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कोई जानकारी नहीं मिली थी. हालांकि पशुपालन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर मीणा दावा कर रहे हैं कि सभी गायों को बीते साल रिकवर कर लिया गया था. इस बीमारी से एक भी मौत की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी. वायरल बीमारी के कारण 106-107 और 108 डिग्री तक बुखार हो जाता है. बीमारी में एंटीपायरेटिक दिया जाता है. सेकेंडरी बैक्टीरियल इनफेक्शन रोकने के लिए एंटीबायोटिक थेरेपी दी जाती है. इम्यूनो माड्यूलेटर भी पीड़ित गोवंश या मवेशी की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए दी जाती है. इसी इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए बी कांपलेक्स भी दिया जाता है. 


हाड़ौती में पशु चिकित्सालय बीमार


कोटा संभाग के कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ में पशु चिकित्सालय की हालत गंभीर है. कर्मचारियों के पद खाली हैं. अस्पताल की समय पर साफ सफाई भी नहीं हो पाती है. राज्य सरकार पशु चिकित्सालय में बेहतरीन सुविधाएं देने का दावा करती है. लेकिन जमीनी स्तर पर हालात कुछ और ही हैं. वर्तमान में बरसात से इन जिलों के अस्पताल हाल बेहाल हो चले हैं. अस्पतालों के अंदर चारों ओर गंदगी का आलम देखा जा सकता है. पशुपालक रविशंकर ने बताया कि उनकी गाय सड़क हादसे में घायल हो गई थी. अस्पताल में आने पर पट्टी करने तक के लिए भी कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. मांगने पर दवाई भी नहीं मिली. बाहर से दवाई लाकर इलाज करवाना पड़ा. गौ सेवक पहलाद कुमार ने कहा कि जब पशुओं के लिए सामान्य बीमारियों की कोई सुविधा नहीं है तो लंपी वायरस से बचने के लिए क्या सुविधा अस्पताल मुहैया करवाएगा. 


जानें कहां कितने गौवंश की हुई मौत?


जोधपुर, बाडमेर, जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही, बीकानेर, चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, अजमेर, नागौर, जयपुर, सीकर, झूंझूंनु, उजयपुर में बड़ी तादात गौ वंश की लंपी वायरस से प्रभावित हुई है. अकेले नागौर जिले के कुचामन सिटी में लम्पी वायरस से 187 गौवंश की मौत हुई है. जोधपुर-730, बाडमेर-830, जैसलमेर-231, जालौर-580, पाली-60, सिरोही-36, बीकानेर-527, चूरू-33, गंगानगर-840, हनुमानगढ़-53, अजमेर-41, नागौर-90, जयपुर-9, सीकर-1, झूंझूंनु-1, उदयपुर-47 मौत दर्ज की गई है. 


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