Kota News: गंभीर वायरस की पहचान होगी आसान, कोटा में करोड़ों की लागत से तैयार होगा BSL-3 लैब
Kota News Today: कोटा के मेडिकल कॉलेज में करोड़ों की लागत से लैब निर्माण किया जाएगा. इसको 18 महीने के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके जरिए गंभीर वायरस की पहचान हो सकेगी.
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Kota Medical College News: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से मेडिकल कॉलेज में उच्च स्तरीय बीएसएल 3 लैब के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ हो रही है. करीब 7.98 करोड़ की लागत से केवल लैब भवन निर्माण के लिए है, जो 18 माह के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. कुल बजट 17 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं.
कोविड के दौरान वायरस की पहचान करना एक चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया था. कोविड के डेल्टा जैसे वैरिएंट की समय पर पहचान नहीं हो पाने के कारण कई रोगियों की जान चली गई थी.
जब इस बारे में स्पीकर बिरला ने मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने एक विशेषज्ञ जांच लैब की स्थापना की आवश्यकता जताई. ओम बिरला ने इस बारे में आईसीएमआर में चर्चा की जिसके बाद कोटा में बीएसएल-2$ लैब स्वीकृत हो गई.
इसी दौरान आईसीएमआर ने देश में विभिन्न स्थानों पर बीएसएल 3 लैब की स्थापना की प्रक्रिया प्रारंभ की, जिसको देखते हुए स्पीकर बिरला ने बीएसएल-2$ लैब को बीएसएल 3 लैब में अपग्रेड करवा दिया गया.
गंभीर वायरस की हो सकेगी पहचान
मेडिकल कॉलेज में बीएसएल 3 लैब के निर्माण के लिए कुल 17 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है.
लैब निर्माण के मेडिकल कॉलेज के अकादमिक भवन के पीछे करीब दो हजार वर्गफीट भूमि चिन्हित की गई है. लैब तैयार होने के बाद यह राजस्थान की दूसरी बीएसएल 3 लैब होगी. पहली लैब जोधपुर एम्स में कार्य कर रही है.
बीएसएल 3 लैब में अफ्रीकन हॉर्स सिकनेस वायरस, ऑस्ट्रेलियन बैट वायरस, एवियन इंफ्ल्यूएंजा वायरस, केलीर्फोनिया एन्सीुिलाइटेस वायरस, हंता वायरस, जीका वायरस, येलो फीवर जैसे अनेक वायरस, बैक्टिरिया, फंगस और पैरेसाइट की पहचान हो सकेगी.
उपचार जल्द प्रारंभ करना होगा संभव
कोविड के मामले में सामने आया था कि सैंपल टेस्ट के लिए पुणे एनआईवी और अन्य स्थानों पर भेजे गए, जहां से रिपोर्ट आने में समय लगा. इस कारण उपचार भी देरी से प्रारंभ किया जा सका. कोटा में लैब होने से रिपोर्ट जल्दी आएगी जिससे उपचार जल्द प्रारंभ करना भी संभव हो सकेगा. यह लैब देश की अन्य समकक्ष लैब से भी जुड़ी होगा, जिससे डाटा को आपस में साझा करना सरल हो जाएगा.
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