Rajasthan News: कोटा में कोटा मुद्रा उत्सव 2022 चल रहा है. इस उत्सव में विभिन्न रियासतों के 800 प्रकार के सिक्के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इस मुद्रा उत्सव में एक से बढ़कर एक सिक्के देखकर सभी दंग रह गए. कोटा फ्लेटली एण्ड न्यूमिस्मैटिक सोसायटी की ओर से एग्जीबिशन ट्रेड फेयर ऑफ कॉइन, करेंसी एण्ड कलैक्टेबल्स के तहत देश की विभिन्न रियासतों और भारत के विभिन्न कालखंड में प्रचलित मुद्राओं को यहां देखने का अवसर मिल रहा है.


भगवत गीता की 20 पेंटिंग में गोल्ड वर्क
इस प्रदर्शनी में देशभर के मुद्रा संकलनकर्ता भाग ले रहे हैं. इसके लिए 35 फ्रेम लगाए गए हैं. इसमें एक स्टॉल पंजाब के परमिंदर सिंह का भी लगा है. वो बताते हैं कि उनके नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड है. वह अब तक 200 से अधिक प्रदर्शनी लगा चुके हैं. जिसमें सबसे अधिक भगवत गीता को देखा गया है. जम्मू के महाराजा गुलाब सिंह के दरबार में पायकेसर सिंह द्वारा इसे लिखा गया है. उन्होंने कहा कि उनकी भगवत गीता पंजाबी में लिखी गई है. जो सैकड़ों साल पुरानी है. इस गीता में 720 पेज, 20 पेंटिंग हैं. जिसमें गोल्ड वर्क है. इसके साथ ही पत्ते पर लिखी रामायण भी यहां लोगों को लुभा रही है.


एक इंच की गीता और कुरान
परमिंदर सिंह के पास एक इंच की गीता और एक इंच की कुरान भी है. छोटा सा गुरु ग्रंथ साहब भी है. उन्होंने कहा कि जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ तब ग्रंथों को साथ लेकर जाना चुनौती थी. ऐसे छोटे ग्रंथ उस समय के यहां प्रदर्शित किए गए हैं. ऋग्वेद, पंजाबी, पौथिया सहित कई प्राचीन ग्रंथों को देख लोग अभिभूत हो रहे हैं. उनका कहना है कि युवाओं तक ये जानकारियां पहुंचाना ही उनका उद्देश्य है.


राजस्थान की मुद्रा है अनोखी
प्रदर्शनी के दौरान राजस्थान की रियासत के अमूल्य सिक्के और नोट का प्रदर्शन होगा. माना जा रहा है कि यहां 26,00 साल पुरानी मुद्रा भी देखने को मिल रही है. वहीं कोटा बूंदी, झालावाड़, जयपुर, जोधपुर, प्रतापगढ़, जैसलमेर, करोली, मेवाड, बीकानेर, केकडी, जयपुर, भरतपुर, सहित कई जगह के राज परिवारों द्वारा प्रचलित मुद्रा भी आकर्षण का केन्द्र है. राजस्थानी संस्कृति को अपने में संजोए करीब 250 से 300 साल पुराने सिक्के यहां हैं.


श्रीराम और हनुमान के सिक्के
कोटा में चल रही प्रदर्शनी में 1616 ई के भगवान श्रीराम और हनुमान जी के तांबे के सिक्के भी यहां लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. इसके साथ ही प्लास्टिक के नोट जो पहली बार 1988 में ऑस्ट्रेलिया में प्रचलन में आए और अब 65 देशों में चल रहे हैं. संभावना जताई जा रही है कि ये भारत में चल सकते हैं. ये खराब नहीं होते, मुडते नहीं है, इनके नकली नोट नहीं बन सकते और डिस्ट्रोय कर वापस काम में लिए जा सकते हैं. कोटा के पवन हटीला द्वारा प्लास्टिक के नोट की प्रदर्शनी लगाई गई है.


साइकिल के लाइसेंस, फूटी कौड़ी भी है यहां
आयोजक लकेश दंडोना ने बताया कि लुधियाना के हरजीत सिंह लोटे द्वारा वायर पजल लगाएं गए हैं. लुधियाना के ही जगरूप सिंह द्वारा साइकिल के टोकन (लाइसेंस) और कोटा के सौरभ लोढा द्वारा स्टाम्प, सिक्के, डाक टिकट की प्रदर्शनी भी यहां लगी हुई है. इसके साथ ही शुभम लोढा द्वारा जर्नी ऑफ टेलीग्राम से भी लोगों को अवगत कराया जा रहा है. इसके साथ ही यहां कोडी, एक, दो पैसा सहित देश विदेश की कई आकर्षित करने वाली मुद्रा का संकलन एक ही जगह पर देखने को मिल रहा है. स्कूली बच्चे, बुजुर्ग, युवा सभी वर्ग इन मुद्राओं और पुरानी कलाकृति को देखकर भाव विभोर हो गया.


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