Rajasthan News: राजस्थान ही नहीं बल्कि शायद देश में ऐसा पहला मामला होगा जहां सत्ता और विपक्ष दोनो ही एक दल के हैं. दरअसल, कोटा दक्षिण में महापौर भी बीजेपी का है तो नेता प्रतिपक्ष भी बीजेपी का है. राजस्थान के कोटा नगर निगम दक्षिण में बड़ी पेचीदा स्थित उत्पन्न हो गई है. अब जिस दल का महापौर है, उसी दल का नेता प्रतिपक्ष होने से लोग अजमंजस की स्थिति में आ गए हैं. राजस्थान में नगर निगमों के गठन के बाद शायद ही कभी ऐसी विचित्र स्थिति बनी हो.
कोटा में ऐसी विकट स्थिति बनने के बाद निगम प्रशासन ने स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक से मार्गदर्शन देने के लिए आग्रह किया है, तो कांग्रेस पार्षदों ने महापौर को पद मुक्त करने की मांग की है. स्वायत्तशासी संस्थानों के पिछले चुनाव के समय कोटा के दोनों नगर निगमों उत्तर एवं दक्षिण में कांग्रेस के बोर्ड बोर्ड बने थे, जिनमें दोनों महापौर कांग्रेस के थे.
कोटा नगर निगम दक्षिण में कांग्रेस के बहुमत में आने के बाद महापौर राजीव अग्रवाल भारती के नेतृत्व में बोर्ड गठित किया गया था, जिसमें कांग्रेस के ही पवन मीणा उप महापौर निर्वाचित हुए थे और भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष में होने के नाते विवेक राजवंशी को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया था.
महापौर सहित कई कांग्रेस पार्षद बीजेपी में हो चुके है शामिल
लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद नगर निगम के आधा दर्जन से भी अधिक कांग्रेस पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए है, लेकिन यह सिलसिला यही नहीं थमा और गत 30 मार्च को महापौर राजीव अग्रवाल भारती भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके कारण अब स्थिति यह है कि इस नगर निगम में महापौर और नेता प्रतिपक्ष दोनों बीजेपी के हैं और दोनों में से किसी ने भी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है और दोनों ही पद के अनुसार निगम प्रशासन की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं.
दोनों में से किसी ने भी न तो नैतिकता के नाते पद त्याग कर निगम की ओर से मिल रही सुविधाओं को तिलांजलि दी है और न ही स्थानीय निकाय विभाग ने इस मामले में उपलब्ध विकल्पों-प्रावधानों के अनुरूप कोई कानून सम्मत तरीके से फैसला किया है. जिसके कारण पिछले एक सप्ताह से भी अधिक समय से उहापोह की स्थिति बनी हुई है. दोनों के पास कोटा नगर निगम की ओर से उपलब्ध करवाई गई लग्जरी कार और निगम कार्यालय में वातानुकूलित कार्यालय हैं.
बीजेपी में शामिल लेकिन कांग्रेस के पद पर अभी भी बने है
दलबदल के कारण बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कोटा नगर निगम दक्षिण में कांग्रेस अब अल्पमत में आ गई है. इस निगम बोर्ड में अब बीजेपी के 44 सदस्य पार्षद हो गए हैं, जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 35 रह गई है. एक निर्दलीय पार्षद है, जिन पार्षदों ने दलबदल कर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है, उनमें एक-दो निगम की समितियों के पदाधिकारी भी शामिल हैं और वे भी अब तक अपने पदों पर जमे हुए हैं.