कोटा नगर निगम के उप महापौर और कांग्रेस पार्षदों ने दिया धरना, आयुक्त से की ये मांग, जानें पूरा मामला
Kota News: उप महापौर सोनू कुरैशी ने कहा शहर में चुनाव के बाद आचार संहिता हट गई, लेकिन लोगों के काम नहीं हो रहे हैं. बजट नहीं होने का बहाना बनाया जा रहा है, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है.
Rajasthan News: राजस्थान के कोटा (Kota) में कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच नगर निगम में आए दिन नए मसले सामने आ रहे हैं. कोटा उत्तर नगर निगम में साधारण सभा (बोर्ड बैठक) आयोजित किए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है. ऐसे में अब आयुक्त ने सुनवाई नहीं की, तो गुरुवार दोपहर को कांग्रेस पार्षद धरने पर बैठ गए और रात को करीब 10 बजे तक बैठे रहे. इसके बाद लिखित में सहमति बनी तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ.
कोटा उत्तर नगर निगम उप महापौर फरीदुद्दीन कुरैशी उर्फ सोनू ने आयुक्त नगर निगम कोटा उत्तर के कमरे के बाहर धरना दिया और जमकर नारेबाजी की. सोनू कुरैशी का कहना है कि "उनके पास कार तक नहीं है. पहले कार दी जा रही थी, लेकिन अब उसका कुछ अता-पता नहीं है. आयुक्त से पूछते हैं तो कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिलता है."
उन्होंने आगे कहा कि "कई बार पत्र लिखने, शिकायत दर्ज कराने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं आया तो आक्रोशित कांग्रेस पार्षद आयुक्त से मिलने गए और उनके चैंबर के बाहर धरने पर बैठ गए. इसके बाद रात तक धरना चला फिर सहमति बनी." सोनू कुरैशी ने कहा कि शहर में चुनाव के बाद आचार संहिता हट गई, लेकिन लोगों के काम नहीं हो रहे हैं. बजट नहीं होने का बहाना बनाया जा रहा है और लोगों को परेशान किया जा रहा है. आए दिन पार्षदों के पास समस्याएं आ रही हैं.
फरवरी के बाद से नहीं हुई बैठक
वहीं जब हम अधिकारियों से कहते हैं तो वह काम नहीं कर रहे. सोनू कुरैशी ने कहा कि इससे पहले कई बार आयुक्त को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन उनका जवाब नहीं आ रहा. नगर निगम कोटा उत्तर में गत साधारण सभा (बोर्ड बैठक) का आयोजन 13 फरवरी 2024 को किया गया था, जो कि बजट बैठक थी. जिसमें सदस्य अपने-अपने वार्डो की समस्याओं का निराकरण नहीं करवा पाये थे.
वहीं अब लोकसभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं और आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो चुकी है. सदस्यों द्वारा कई बार साधारण सभा (बोर्ड बैठक) को आयोजित करवाने के लिए कहा गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही जिसके बाद यह धरना दिया गया है. विधानसभा चुनाव 2023 की आदर्श आचार संहिता के दौरान हटाए गए और ढक दिए गए शिला पट्टो को पुन: स्थापित करने की मांग की गई है, लेकिन अधिकारी टस से मस नहीं हो रहे हैं.
पार्षदों का कहना है कि न तो नाले साफ हो रहे हैं न ही ठीक से सफाई हो रही है. सड़कों पर रात को अंधेरा रहता है, लाइटें नहीं जलती हैं. आवारा मवेशियों का आतंक है, स्ट्रीट डॉग के कई लोग शिकार हो चुके हैं. आवारा मवेशियों से जान तक चली गई, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. शहर में अव्यवस्थाओं का आलम है ओर प्रशासन आंख बंद कर बैठा है.