Kota Neelkanth Mahadev Mandir: कोटा संभाग में महादेव के एक से बढ़कर एक मंदिर और शिवालय हैं जहां शिव परिवार के दर्शन किए जा सकते हैं. इन मंदिरों में प्रचीनता के साथ शिवजी की महिमा भी अपरम्पार है. आज सावन का चौथा सोमवार है और हम आपको कोटा के पुराने शहर रेतवाली में स्थित 1500 साल पुराने नीलकंठ महादेव के दर्शन करा रहे हैं. यहां की महिमा ऐसी है कि लोग देशभर से नहीं विदेशों से भी यहां आते हैं और अभिषेक कराते हैं. शिवलिंग का आकार मात्र एक इंच के करीब रह गया है और वह जमीन में समाते जा रहे हैं.
स्वयंभू हैं शिवलिंग, पाताल तक रहता है स्पर्श
मंदिर के पुजारी शिव शर्मा बताते हैं कि नीलकंठ महादेव यहां स्वयं भू हैं, जो अपने आप स्थापित हुए हैं. यह मंदिर 1500 वर्ष पुराना है. 100 साल से यहां नियमित अखंड ज्योति जल रही है. सावन में चारों और भगवान भोलेनाथ के जयकारे गुंजायमान रहते हैं. भोलेनाथ के भक्त सुबह से ही शिवालयों में पहुंचकर भगवान की पूजा अर्चना कर रहे हैं. नीलकंठ महादेव मंदिर का अपना ही प्राचीन इतिहास हैं. नीलकंठ महादेव यहां अपने आप स्थापित हुए हैं.
पुजारी बताते हैं कि इस शिवलिंग की जड़े पाताल तक जाती है, इसलिए इसे हार्डकेश्वर लिंगम कहा जाता है. इसके दर्शन करने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, दुखों का नाश होता है और परिवार में सुख समृद्धि आती है.
नव गृह, गंगा, गणेश और कई समाधियां
शिव शर्मा ने बताया कि शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा बहुत कम रह गया है, जबकी इसके ठीक सामने दक्षिणमुखी हनुमानजी की प्रतिमा है और उसके ठीक सामने काल भैरव विराजमान हैं, इन दोनो के मध्य एक साधु की समाधी है. यहां 1500 वर्ष पूर्व का शिलालेख लगा हुआ है. इस शिलालेख की भाषा समझ नहीं आती है. पंद्रह सौ वर्ष पूर्व एक साधु यहां तपस्या कर रहे थे, उस समय यहां जंगल हुआ करता था.
उसी समय एक राजा यहां पर आए उनके साथ एक भील भी था, जिसने तीर चलाया जो साधु के लगा और साधु मोक्ष गति को प्राप्त हो गए, उसी समय स्वयंभू भगवान नीलकंठ यहां प्रकट हुए और तभी से यहां उनकी पूजा अर्चना निरंतर चली आ रही है. कोटा के दरबार ने यहां पर साधु की समाधि स्थापित की. इसके साथ ही यहां नवगृह, गंगा गणेश जी की भी प्रतिमाएं हैं जिनकी नियमित पूजा होती है, वर्तमान में नीलकंठ महादेव का मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन आता है.
सावन में हो रही विशेष पूजा अर्चना
पंडित शिव शर्मा ने बताया कि भगवान नीलकंठ के मंदिर में सवा लाख महामृत्युंजय जाप के साथ ही महामृत्युंजय रुद्राभिषेक किया जाता है, यही नहीं यहां नमक चमक का पाठ, 11 नमस्ते पाठ होते हैं,11 बार रुद्राभिषेक किया जाता है, जिससे रोग दूर होने के साथ ही सदा निरोगी का आशीर्वाद मिलता है. मंदिर में नंदलाल शर्मा का परिवार सालों से पूजा अर्चना करता चला आ रहा है. सावन और महाशिवरात्री पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.
यह भी पढ़ें: Rajasthan Elections 2023: अब बूथ-बूथ पर उतरेगी BJP की सोशल मीडिया की टीम, जेपी नड्डा और संतोष ने दिये ये अहम टिप्स!