Kota: तीन दिनों तक आसमान पर रहेगी नजर, पतंगबाजी में घायल पक्षियों को मौके पर ही मिलेगा उपचार
कोटा में पतंगबाजी में मांझा वाले धागे के इस्तेमाल की वजह से बड़ी संख्या में पक्षी घायल हो जाते हैं. ह्यूमन हेल्पलाइन संस्था पिछले 17 साल से घायल पक्षियों का इलाज व उनकी देखभाल का काम कर रहा है.
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Kota News : सेवा के कई रूप होते हैं, लोग मानव सेवा, गौ सेवा और भी कई तरह से सर्दी, गर्मी, बरसात में अपनी सेवाएं देते हैं और सेवा प्रकल्प के रूप में मानवीय कार्य करते हैं, लेकिन कोटा में एक ऐसी संस्था है जो पूरे साल घायल पक्षियों की देखभाल करती है. इतना ही नहीं, इस संस्था ने एक चार पहिया गाड़ी को एम्बुलेंस में तब्दील कर दिया है, जिसमें उपचार के सभी संसाधन है, इसके साथ ही घर पर ही एक कमरे में अस्पताल संचालित किया जा रहा है, जिसमें घायल पक्षियों को रखा जाता है. बात यहीं खत्म नहीं होती, इस संस्था ने एक चार पहिया वाहन अलग से ले रखा है जो इमरजेंसी में काम लिया जाता है, साथ ही दो दुपहिया एम्बुलेंस भी कोटा में काम कर रही हैं. इसके अलावा करीब 20 कर्मचारी भी मकर सक्रांति पर सेवा कार्य करते हैं.
पतंगबाजी के दौरान घायल पक्षियों का मौके पर होगा रेस्क्यू
ह्यूमन हेल्पलाइन संस्था के अध्यक्ष मनोज जैन आदिनाथ की ओर से पिछले 2 दशक से मकरसंक्रांति के दौरान घायल पक्षियों का रेस्क्यू कर उनका उपचार मोखापाड़ा स्थित बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय या जन्तुआलय में कराकर स्वस्थ होने पर उन्हें खुले आसमान में आजाद किया जाता है. इस वर्ष संस्था द्वारा 2 चार पहिया और 2 दुपहिया एम्बुलेंस द्वारा शहर में घायल पक्षियों का मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू एवं प्राथमिक चिकित्सा कर अधिक घायल बीमार पक्षियों का उपचार पशुचिकित्सालय में भर्ती कराया जाएगा.
तीन दिनो तक आसमान पर रहेगी नजर, पक्षियों को मौके पर ही मिलेगा उपचार
संस्था का ओर से 13,14,15 जनवरी के लिए शहर में 4 टीमें नियुक्त की गई हैं. ये तीनों टीमें सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक काम करेंगी. संस्था के अध्यक्ष मनोज जैन आदिनाथ ने आमजन से आग्रह किया है कि अतिउत्साह में लोग पतंगबाजी में एक दूसरे की पतंगों को काटने के लिए तेज धार वाले रासायनिक मोनो काइट एवं चाइनीज मांझे का प्रयोग बिल्कुल न करें. पिछले दिनों संस्था की ओर से जिला कलेक्टर ओपी बुनकर से मांझे की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और बेचने वाली दुकानों पर छापेमारी करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद यहां चाइनीज मांझे को प्रतिबंधित कर दिया है. प्रति वर्ष शहर में मकर संक्रांति के दौरान लगभग 500 पक्षी घायल हो जाते हैं, आमजन एवं अन्य जीवजन्तुओं के लिए भी यह जानलेवा साबित होता है.
12 दिन में 21 पक्षी हुए घायल
मनोज जैन ने बताया कि 1 जनवरी से अब तक 21 पक्षी मांझे से पर कटवा चुके हैं या उन्हें कई जगहों पर चोट आई है, ये वे पक्षी हैं जो हमारे ध्यान में आए हैं, या लोगों ने हेल्पलाइन पर सूचना दी है, अन्यथा जो अनजान पक्षी खुले में कहीं घायल होते हैं तो उनकी मौत हो जाती है, लेकिन हमारे पास जो भी पक्षी आए हैं, उन सभी को ठीक कर खुले आसमान में छोड़ दिया है, इस कार्य में राजकीय पशु चिकित्सालय के डॉ. अखलेश पांडे व डॉ. गणेश दाधीच पक्षियों का उपचार करते हैं. संस्था ने वर्ष 2006 में घायल पक्षियों की देखभाल शुरू की थी जो अब भी जारी है. सक्रांति के अलावा भी जहां से सूचना आती है, पक्षियों को बचाने का प्रयास किया जाता है.
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