कोटा में यहां पर होती है मगरमच्छ के स्वरूप की पूजा, जानें क्या है मान्यता?
Makar Sankranti: बंगाली समाज के लोग मिट्टी से मगरमच्छ की आकृति बनाकर उसकी पूजा करते हैं. कोटा में भी लोगों ने नयागांव रोजड़ी के पास हाईवे पर मिट्टी से मगरमच्छ की विशाल आकृति बनाई और उसकी पूजा की.
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Kota News: भारत देश विभिन्न मान्यताओं आस्थाओं का देश है. ऐसी एक मान्यता बंगाली समाज में भी कुछ लोगों द्वारा मानी जाती है और उस मान्यता के चलते बंगाली समाज के लोग मिट्टी से मगरमच्छ की आकृति बनाकर उसकी पूजा करते हैं. कोटा में भी बंगाली समाज के लोगों ने नयागांव रोजड़ी के पास हाईवे पर मिट्टी से मगरमच्छ की विशाल आकृति बनाई और उसकी पूजा की. इस अवसर पर बंगाली समाज के महिलाएं पुरुष मौजूद रहे. बंगाली समाज के विजय बाला ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन मगरमच्छ के स्वरूप की पूजा की जाती है.
'मगरमच्छ को गंगा का वाहन माना जाता है'
विजय बाला ने बताया कि इसमें पोष वर्मन वास्तु और मकर तीनों की पूजा एक साथ होती है. मगरमच्छ को गंगा का वाहन माना जाता है. ऐसे में मकरध्वज के रूप में मगरमच्छ की पूजा का विधान भी बंगाली समाज में सालों से चला आ रहा है. सोमवार को कोटा के रोजड़ी क्षेत्र में रहने वाले बंगाली समाज के लोगों ने 21 फीट लंबा
मिठाई और मौसमी फलों का लगता है भोग
बंगाली समाज के लोगों का मानना है कि धरती पर केवल मगरमच्छ ही एक ऐसा जीव है जो जल और थल पर आराम से लम्बे समय तक रह सकता है. इस प्रथा के तहत बंगाली समाज के लोगों ने मंगल गीत गाए और उसके बाद मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाया साथ ही समाज और देश की खुशहाली की कामना की.
मगरमच्छ बनाए जाने के पीछे कुछ धार्मिक मान्यताओं के साथ कहानियां भी हैं. बंगाली समाज के लोगों ने बताया कि एक बंगाली समाज का एक युवक मगरमच्छ बनाकर तांत्रिक के पास विद्या सीखने गया था, मकर सक्रांति पर युवक वापस आया और जब परिवार ने पूछा की क्या सीखा तो उसने नदी के पास बनाए मिट्टी के मगरमच्छ को जीवित कर दिया और वह मगरमच्छ पानी में चला गया, तभी से यह प्रथा चली आ रही है.
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