(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kota News: कोटा में नहीं थम रहे स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले, अब NEET की तैयारी कर रही छात्रा ने जहर खाकर दी जान
Kota Suicide News: छात्रा ने कोचिंग में ही जहरीला पदार्थ सल्फास का सेवन कर लिया. उसके बाद से ही उसकी तबियत बिगडती चली गई. कोटा में रहकर छात्रा नीट की तैयारी कर रही थी.
Kota Suicide News: कोटा में इस साल आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़े हैं. लगातार हो रहे सुसाइड को रोकने के लिए प्रशासन कितने ही प्रयास कर रहा हो लेकिन मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार देर शाम को एक और कोचिंग छात्रा ने जहर खाकर सुसाइड कर ली. कोचिंग छात्रा प्रियम सिंह मऊ यूपी की निवासी थी और कोटा में करीब डेढ़ साल से रहकर नीट की तैयारी कर रही थी.
अस्पताल में कराया था भर्ती
जानकारी के अनुसार छात्रा प्रियम सिंह ने कोटा में विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में स्थित एक कोचिंग संस्थान में शनिवार सुबह कोचिंग के लिए गई थी. बताया जा रहा है कि छात्रा ने कोचिंग में ही जहरीला पदार्थ सल्फास का सेवन कर लिया. उसके बाद से ही उसकी तबियत बिगडती चली गई, उसे लगातार उल्टियां हो रही थी. जब पता चला की इससे जहरीला पदार्थ खाया है तो उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान छात्रा की मौत हो गई.
कारणों का नहीं हुआ खुलासा
पुलिस ने परिजनों को सूचना दी है, उनके आने के बाद पोस्टमार्टम कराया जाएगा. साथ ही छात्रा के हॉस्टल के उस कमरे की जांच-पड़ताल की जायेगी जिनमें वह रहती थी. अभी छात्रा के आत्महत्या करने के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है. लेकिन प्राथमिक जानकारी में पुलिस भी जहरीला पदार्थ खाने से मौत मान रही है. इसी महीने एक नीट की कोचिंग छात्रा झारखंड के रांची निवासी 16 वर्षीय रिचा सिन्हा ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी. जिसमें लव अफेयर को लेकर मामला सामने आया और इस पर यूडीएच मंत्री ने भी मौत का कारण लव अफेयर को माना था.
कोटा में पढ़ रहे 2 लाख से ज्यादा कोचिंग स्टूडेंट
कोटा में इस समय करीब दो लाख बच्चे रह कर पढ़ाई कर रहे हैं. इन बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रशासन, पुलिस प्रशासन, हेल्प लाइन, कोचिंग संस्थाओं की ओर से काउंसलर, मैसेज सिस्टम के साथ कई तरह ध्यान दिया जाता है. इस दिशा में हॉस्टल संचालक, हॉस्टल ऐसोसिएशन के साथ स्वयं सेवी संस्थाएं भी काम कर रही हैं. उसके बाद भी सुसाइड होना चिंता का विषय है. कोटा में दो लाख बच्चों पर 4 हजार होस्टल हैं, जबकी 50 हजार बच्चें पीजी में रहते हैं.
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