Rajasthan News: नाबालिग बेटी से रेप करने वाले कलयुगी पिता को उम्रकैद की सजा, कोर्ट ने कहा- 'ऐसा तो दानव भी नहीं करता...'
Kota News: पॉक्सो अदालत-3 ने अपनी नाबालिग बेटी से बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में एक पिता को आजीवन जेल में रहने की सजा सुनाई और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया.
Rajasthan News: राजस्थान के कोटा की एक पॉक्सो (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) कोर्ट ने गुरुवार को 55 वर्षीय एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी से बार-बार बलात्कार करने का दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट ने सात महीने की सुनवाई के बाद दोषी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. न्यायाधीश ने रामचरितमानस की एक चौपाई कोट करते हुए राष्ट्रीय स्तर की मल्लखंब खिलाड़ी पीड़िता को उसके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं.
अदालत ने इस अपराध को मानवता के लिए सबसे शर्मनाक करार देते हुए कहा कि, दोषी पिता को आजीवन जेल में अपने अपराध पर पछतावा होगा. लोक अभियोजक ललित कुमार शर्मा ने कहा कि, पॉक्सो अदालत-3 ने अपनी नाबालिग बेटी से बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में व्यक्ति को आजीवन जेल में रहने की सजा सुनाई और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया. पीड़िता अब 21 साल की है, उसने अपने पिता पर 14 साल की उम्र से उससे बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था.
लड़की ने मार्च में दर्ज कराई थी रिपोर्ट
सरकारी वकील ललित कुमार शर्मा ने बताया कि, मामला 19 दिसंबर 2022 का है. पीड़िता अपनी तीन बहनों में सबसे बड़ी है. पीड़िता की मां और छोटी बहन बाजार गई थी. वहीं मंझली बहन अखाड़े में खेलने गई थी. इस दौरान पीड़िता रसोई में खाना बना रही थी. शाम 6 बजे उसके पिता ने उसे जबरन पकड़ लिया और अंदर कमरे में ले जा कर रेप किया. पीड़िता ने मां के घर लौटने पर पूरी घटना की जानकारी दी. इसके बाद पीड़िता की मां और आरोपी पिता के बीच झगड़ा हुआ. पिता ने माफी मांगते हुए ऐसी गलती दुबारा नहीं दोहराने की बात कही. हालांकि, पीड़िता ने 9 मार्च 2023 को उद्योग नगर थाने में रिपोर्ट दी थी.
आखिरी सांस तक प्रायश्चित करता रहेगा पिता
कोर्ट ने कहा कि, श्रेष्ठ परवरिश और संस्कारों के चलते ही बेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता में भाग लिया. अपरिपक्व अवस्था से बालिग अवस्था तक शारीरिक संबंध बनाना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है. इस प्रकार का उदाहरण सम्भवतया दानवों में भी नहीं पाया जाता है. समय परिवर्तनशील है, लेकिन पिता का कलंक और बेटी की कटु स्मृतियां सम्भवतः कभी नहीं मिटेंगी. दोषी पिता अपने जीवन की आखिरी सांस तक कारागार में बैठकर प्रत्येक क्षण अपने पापों का प्रायश्चित करता रहेगा. उसे देख कर भविष्य में कोई भी पिता अपनी बेटी की ओर कुदृष्टि डालने की हिम्मत नहीं करेगा.