Rajasthan News: RTH बिल के विरोध में चिरंजीवी और RGHS का बहिष्कार, आंदोलन तेज करने की चेतावनी
Kota News: कार्यकारी सदस्य डॉ. अमित व्यास ने बताया, ये बिल सरकार जबरदस्ती थोप रही है. इसमें पूरी तरह से संशोधन किया जाना चाहिए. वहीं डॉ. जायसवाल ने बताया, बिल चुनावों के लिहाज से बनाया गया है.
Rajasthan News: स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के बाद लगातार विरोध कर रहे चिकित्सकों ने शनिवार को पूरे प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं को बंद रखकर विरोध किया था. वहीं आज से ज्वाइंट एक्शन कमेटी के निर्णय के अनुसार प्रदेश में आगे की रूपरेखा तय की गई है. कोटा (Kota) में हुई मीटिंग के बाद निर्णय सामने आया कि प्रदेश नेतृत्व के आव्हान पर राजस्थान में रविवार से सभी चिरंजीवी मरीजों का उपचार नहीं किए जाने के साथ ही आरजीएचएस (RGHS) का विरोध किए जाने का निर्णय लिया गया है.
बिल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हानिकारक
कोटा में ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्य व उपचार अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि, ये बिल राजस्थान निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर हानिकारक और विनाशकारी प्रभाव डालने वाला है. इस बिल में पूरी तरह से संशोधन होना चाहिए, जिसमें सरकार को चिकित्सकों की राय लेनी चाहिए नहीं तो राजस्थान से चिकित्सकों का विरोध और तीखा होता चला जाएगा. डॉ. जायसवाल ने बताया कि ये बिल केवल आगामी चुनावों के लिहाज से बनाया गया है ताकि आमजनता के वोट बटोरे जा सकें. जल्दबाजी में लाए गए बिल का राजस्थान में विरोध किया जा रहा है.
बिल में डॉक्टर्स को सजा का प्रावधान
डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि, बिल में सजा का प्रावधान है, कोई भी डॉक्टर्स पर केस कर सकता है और उसकी हम अपील भी नहीं कर सकते, ये तो संविधान के खिलाफ है. इमरजेंसी की कोई परिभाषा इस बिल में तय नहीं है, कोई भी डॉक्टर किसी का भी उपचार करेगा यह किसी भी तरह से व्यवहारिक नहीं है. डॉ. अशोक शारदा ने बताया कि इस बिल में पूरी तरह से संशोधन किया जाना चाहिए. सरकार ने जल्दबाली में बिना सोचे समझे इस बिल को बनाया है, जिसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है.
राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बनाया
कार्यकारी सदस्य डॉ. अमित व्यास ने बताया कि ये बिल सरकार जबरदस्ती थोप रही है. इस बिल में पूरी तरह से संशोधन किया जाना चाहिए. डॉ. केवल कृष्ण डंग व डॉ. विवेक गुप्ता ने कहा कि कोटा सहित राजस्थान में चिकित्सा सेवाएं प्राभावित हो रही हैं, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की है. ये बिल किसी भी तरह से व्यवहारिक नहीं हैं, जिसमें चिकित्सकों के साथ आम जनता भी प्रभावित हो रही है. सरकार की हर योजना में निजी चिकित्सक हमेशा खड़ा रहा है और आज भी है, चिरंजीवी योजना का लाभ दे रहे हैं, आरजीएचएस का लाभ दे रहे हैं, उसमें चिकित्सकों को उनके खर्च भी नहीं निकल रहे, लेकिन फिर भी जनता की सेवा की जा रही है, लेकिन आरटीएच बिल पूरी तरह से राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बनाया गया है, जिसे प्रदेश का चिकित्सक बर्दाश्त नहीं करेगा.