Kota River Front News: राजस्थान के कोट में करीब 1500 करोड़ की लागत से बनाए गए चम्बल रिवर फ्रंट को लेकर एनजीटी की टीम निरीक्षण कर रही है. नजीटी की टीम इससे संबंधित दस्तावेज खंगाल रही है और जो भी इस मामले से सम्बंधित साक्ष्य है उन्हें इकट्ठा कर रही है. इससे पहले गठित कमेटी ने बुधवार (8 नवंबर) को निरीक्षण किया और गुरुवार (9 नवंबर) को भी इस मामले की जांच कर रही है. एनजीटी में दायर याचिका के बाद टीम ने जांच की शुरू कर दी है. यह पूरा मामला वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है.


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसके बाद एनजीटी ने एक कमेटी गठित कर रिपोर्ट मांगी है. जिसके बाद चार सदस्यों की टीम कोटा पहुंची है. कमेटी ने पहले कलेक्ट्रेट पर पहुंच कर अधिकारियों से बात की. इसके बाद कुन्हाड़ी क्षेत्र में जाकर कई घंटों तक रिवरफ्रंट का निरीक्षण किया. इस कमेटी में कोटा के अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन राजकुमार सिंह, जल संसाधन विभाग के राणा प्रताप, सागर बांध के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी, केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी और राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड के मुख्य प्रबंधन तकनीकी शामिल हैं.


इन बिंदुओं को लेकर एनजीटी कर रही जांच
एनजीटी की टीम ने इस मामले में संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी है. कमेटी के सदस्य ने बताया कि कमेटी देख रही है कि यहां पर्यावरण, फॉरेस्ट और वॉटर रिसोर्सेस का क्या-क्या एंगल, संबंधित क्वेरी और बिंदु हो सकते हैं. इसके बाद जल संसाधन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण मंडल और फॉरेस्ट विभाग के साथ-साथ नगर विकास न्यास से भी रिकॉर्ड मंगवाया गया है. यहां पहले क्या स्थिति थी और बाद में क्या किया गया है? उस पहलू पर भी जांच की जा रही है. हालांकि यह केवल शुरुआत है, इसमें काफी समय भी लग सकता है. टीम पूरी रिपोर्ट बनाकर एनजीटी में पेश करेगी.


पूर्व विधायक ने उठाए थे ये सवाल
कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने यह मामला उठाते हुए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, यूआईटी और कई विभागों पर आरोप लगाए थे. उन्होंने इससे संबंधित कई दस्तावेज भी पेश किए थे. इस मामले में जब एनजीटी का मामला सामने आया, तो सीएम अशोक गहलोत भी यहां नहीं आए थे. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से बिना अनुमति लिए ही राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में निर्माण करवा दिया गया है.  27 सितंबर 2023 को द्रुपद मलिक, अशोक मलिक और गिरिराज अग्रवाल ने एक याचिका एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एक्ट 1986 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एनजीटी में दाखिल की थी.


निर्माण को गैरकानूनी बताते हुए ध्वस्त करने की मांग
याचिका के तहत राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में निर्माण करना, जलीय जीवन पर संकट, नदी की चौड़ाई कम करना और बफर जोन में निर्माण से लेकर तीनों परिवादियों ने रिवर फ्रंट के निर्माण को गैरकानूनी बताते हुए ध्वस्त करवाने की मांग की है. याचिका में प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन विभाग राजस्थान, सदस्य सचिव राजस्थान स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड, सचिव नगर विकास न्यास कोटा, कमिश्नर व एसीईओ स्मार्ट सिटी लिमिटेड कोटा, जिला कलेक्टर और यूआईटी चेयरमैन, राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सीनियर टाउन प्लानर कोटा रीजन, चीफ टाउन प्लानर और रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया को प्रतिवादी बनाया गया है. 


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