Rajasthan Railway News: सात साल पहले रेलवे सुरक्षा बल ने 'नन्हें फरिश्ते' नाम से ऑपरेशन शुरू किया था. जिसका सार्थक परिणाम निकल कर सामने आए हैं. इसके तहत किसी वजह से अपने परिवार से बिछुड़ने वाले, घर से लापता होने वाले बच्चे या अन्य तरह से ट्रेन से जा रहे हो बच्चों को बचाने के लिए आरपीएफ जवानों ने सार्थक पहल की है. 


यह मिशन सभी भारतीय रेलवे जोन में पीड़ित बच्चों को बचाने के लिए समर्पित है. पिछले सात सालों में (मई 2018- 2024) के दौरान, आरपीएफ ने स्टेशनों और ट्रेनों में खतरे में पड़े या खतरे में पड़ने से 84 हजार 119 बच्चों को  बचाया है.


'हजारों बच्चों के लिए जीवन रेखा बना अभियान'
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक एवं जनसंपर्क अधिकारी रोहित मालवीय ने बताया कि 'नन्हे फरिश्ते' एक ऑपरेशन से कहीं अधिक है. यह उन हजारों बच्चों के लिए एक जीवन रेखा है जो खुद को विकट परिस्थितियों में पाते हैं.


उन्होंने बताया कि साल 2018 से 2024 तक का डेटा, अटूट समर्पण, अनुकूलनशीलता और संघर्ष क्षमता की कहानी दशार्ता है. इस अभियान ने कोटा मंडल सहित अन्य मंडलों में काफी सुर्खियां बटोरी हैं.


घर से भागे बच्चों का आंकड़ा अधिक
इस अभियान की शुरूआत 2018 में हुई थी. 'ऑपरेशन नन्ंहे फरिश्ते' की महत्वपूर्ण शुरूआत के बाद से आरपीएफ के जवान सराहनीय कार्य कर रहे हैं. इस साल आरपीएफ ने कुल 17 हजार 112 पीड़ित बच्चों को बचाया है. 


जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं. बचाए गए 17 हजार 112 बच्चों में से 13 हजार 187 बच्चों की पहचान भागे हुए बच्चों के रूप में की गई. 2105 लापता पाए गए, 1091 बच्चे बिछड़े हुए, 400 बच्चे निराश्रित, 87 अपहृत का मामला सामने आया है.


इसी तरह 78 मानसिक रूप से विक्षिप्त और 131 बेघर बच्चे पाए गए. साल 2018 में इस तरह के पहल की तत्काल आवश्यकता को उजागर करते हुए ऑपरेशन के लिए एक मजबूत नींव रखी गई.


2019 में बचाए 15932 बच्चे
साल 2019 में भी आरपीएफ के प्रयास लगातार सफल रहे. इस दौरान लड़कों और लड़कियों दोनों को मिलाकर कुल 15 हजार 932 बच्चों को बचाया गया. बचाए गए 15 हजार 932 बच्चों में से 12 हजार 708 भागे हुए, 1454 लापता, 1036 बिछड़े हुए और 350 निराश्रित बच्चे पाए गए. 


इसके अलावा 56 अपहृत, 123 मानसिक रूप से विक्षिप्त और 171 बेघर बच्चों के रूप में पहचाने गए. साल 2020 कोविड महामारी के कारण चुनौतीपूर्ण था, जिसने सामान्य जीवन को बाधित किया और परिचालन पर काफी प्रभाव डाला. इन चुनौतियों के बावजूद, आरपीएफ 5 हजार 11 बच्चों को बचाने में कामयाब रही.


देखभाल में अहम रोल निभा रहा RPF
साल 2021 के दौरान आरपीएफ ने अपने बचाव कार्यों में पुनरुत्थान देखा. जिससे 11 हजार 907 बच्चों को बचाया गया. इस साल पाए गए और संरक्षित किए गए बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. 


जिसमें 9 हजार 601 बच्चों की पहचान भागे हुए के रूप में, 961 लापता के रूप में, 648 बिछड़े हुए बच्चे पाए गए. इसी तरह 370 निराश्रित, 78 अपहृत, 82 मानसिक रूप से विकलांग और 123 बेघर बच्चों के रूप में पहचाने गए. 


साल 2023 के दौरान, आरपीएफ 11 हजरा 794 बच्चों को बचाने में सफल रही. इनमें से 8916 बच्चे घर से भागे हुए थे, 986 लापता थे, 1055 बिछड़े हुए थे, 236 निराश्रित थे, 156 अपहृत थे, 112 मानसिक रूप से विकलांग थे, और 237 बेघर बच्चे थे. 


आरपीएफ ने इन असुरक्षित बच्चों की सुरक्षा और उनकी अच्छी देखभाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 2024 के पहले पांच महीनों में, आरपीएफ ने 4,607 बच्चों को बचाया है. जिसमे 3430 घर से भागे हुए बच्चों को बचाया गया है. 


'नन्हे फरिश्ते को मिला सभी का समर्थन'
शुरूआती रुझान ऑपरेशन 'नन्हे फरिश्ते' के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता का प्रमाण देते हैं. ये संख्या बच्चों के भागने की लगातार जारी समस्या और उन्हें अपने माता पिता के पास सुरक्षित पहुंचने के लिए आरपीएफ के किए गए प्रयासों दोनों को दशार्ती हैं. 


आरपीएफ ने अपने प्रयासों से न केवल बच्चों को बचाया है, बल्कि घर से भागे हुए और लापता बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता भी बढ़ाई है. जिसमें आगे की कार्रवाई और विभिन्न हितधारकों से समर्थन मिला. 


आरपीएफ का ऑपरेशन का दायरा लगातार बढ़ रहा है. रोज नई चुनौतियों का सामना कर भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क में बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास कर रहा है.


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