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कोटा दक्षिण विधायक मिले झाबर सिंह खर्रा से, कोटा निगम की समितियाें को भंग कराने का आग्रह
Kota News: कोटा नगर निगम को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. महापौर को लेकर विवाद अभी तक नहीं थमा है, ऐसे में अब कांग्रेस सरकार के समय बनाई गई निगम समितियों को भी भंग करने की मांग की जा रही है.
Rajasthan News: राजस्थान में बीजेपी सरकार बनने के बाद से ही कोटा नगर निगम को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. ऐसे में महापौर को लेकर पहले ही विवाद अभी तक नहीं थमा है, ऐसे में अब कांग्रेस सरकार के समय बनाई गई निगम समितियों को भी भंग करने की तैयारी चल रही है ताकी निगम की सत्ता भी बीजेपी खेमे में आ जाए. कोटा दक्षिण और कोटा उत्तर दो नगर निगम यहां संचालित किए जा रहे हैं, जिन्हें एक करने की तैयारी चल रही है.
दोनो नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड है, लेकिन कोटा दक्षिण के महापौर कांग्रेस से बीजेपी में चले गए. यदि दोनो नगर निगम को एक किया जाता है तो इसका सीधा लाभ बीजेपी को होगा वहीं यदि दशहरा मेला भी कोटा दक्षिण नगर निगम भरवाएगा तो भी इसका लाभ बीजेपी को होगा और कांग्रेस के महापौर और उपमहापौर सहित पार्षदों का वर्चस्व खत्म हो जाएगा. इस पूरी गणित को लेकर कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मुलाकात की.
कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला है ऐतिहासिक
बीजेपी के कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मुलाकात कर मांग करते हुए कहा कि है कि कोटा शहर का ऐतिहासिक राष्ट्रीय दशहरा मेला नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा ही भरवाया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि कांग्रेस सरकार में बनी निगम की सभी समितियों को भंग किया जाना चाहिए. नगर निगम कोटा दक्षिण में नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी और अन्य बीजेपी पार्षदों ने विधायक शर्मा को मिलकर उन्हें इस बारे में अवगत करवाया था. उसके बाद यह मामला तूल पकडता जा रहा है.
कोटा में पूर्व में 65 वार्ड थे, कांग्रेस ने कर दिए 150
विधायक शर्मा ने स्वायत्त शासन मंत्री को बताया कि कोटा में पूर्व में केवल 65 वार्ड ही हुआ करते थे और जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्होंने राजनीतिक लाभ लेने के लिए वार्डों का सीमांकन कर दो नगर निगम बना दिए और वार्डों की संख्या भी 150 कर दी. इस तरह से कोटा शहर का बंटवारा हो गया और व्यवस्थाएं भी अलग-अलग कर दी, बजट भी अलग हो गया और अधिकारी भी बांट दिए गए, पहले ही अधिकारियों की कमी थी और दो निगम किए जाने से जहां व्यवस्थाओं में कुछ हद तक सुधार हुआ तो दूसरी और कर्मचारियों की कमी पूरे पांच साल बनी रही.
विधायक संदीप शर्मा ने बताया कि कोटा दक्षिण नगर निगम में कांग्रेस के महापौर राजीव अग्रवाल ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है और कांग्रेस अल्पमत में आ गई है. इसलिए कांग्रेस के बोर्ड में बनाई गई समितियों की निगरानी भी ठीक प्रकार से नहीं हो पा रही है जिसके कारण निगम का सम्पूर्ण कार्य अस्त व्यस्त हो गया है. लोग अपने काम करवाने के लिए भटकते फिर रहे हैं.
कोटा उत्तर नगर निगम में है मेला समिति अध्यक्ष
कोटा में राष्ट्रीय दशहरा मेला कोटा उत्तर नगर निगम भरवाता है, पहले भी मेला दशहरा को लेकर विवाद चल रहा था. दक्षिण के महापौर ने दूरी बना ली थी. लेकिन जैसे ही सरकार बदली अब दक्षिण नगर निगम मेला भरवाना चाहता है, लेकिन मेला समिति अध्यक्ष कोटा उत्तर नगर निगम के पास है, ऐसे में जब तक समितियां भंग नहीं होती तब तक दक्षिण निगम को अधिकार नहीं मिल सकते.
दोनो नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड है, लेकिन कोटा दक्षिण के महापौर कांग्रेस से बीजेपी में चले गए. यदि दोनो नगर निगम को एक किया जाता है तो इसका सीधा लाभ बीजेपी को होगा वहीं यदि दशहरा मेला भी कोटा दक्षिण नगर निगम भरवाएगा तो भी इसका लाभ बीजेपी को होगा और कांग्रेस के महापौर और उपमहापौर सहित पार्षदों का वर्चस्व खत्म हो जाएगा. इस पूरी गणित को लेकर कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मुलाकात की.
कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला है ऐतिहासिक
बीजेपी के कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मुलाकात कर मांग करते हुए कहा कि है कि कोटा शहर का ऐतिहासिक राष्ट्रीय दशहरा मेला नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा ही भरवाया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि कांग्रेस सरकार में बनी निगम की सभी समितियों को भंग किया जाना चाहिए. नगर निगम कोटा दक्षिण में नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी और अन्य बीजेपी पार्षदों ने विधायक शर्मा को मिलकर उन्हें इस बारे में अवगत करवाया था. उसके बाद यह मामला तूल पकडता जा रहा है.
कोटा में पूर्व में 65 वार्ड थे, कांग्रेस ने कर दिए 150
विधायक शर्मा ने स्वायत्त शासन मंत्री को बताया कि कोटा में पूर्व में केवल 65 वार्ड ही हुआ करते थे और जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्होंने राजनीतिक लाभ लेने के लिए वार्डों का सीमांकन कर दो नगर निगम बना दिए और वार्डों की संख्या भी 150 कर दी. इस तरह से कोटा शहर का बंटवारा हो गया और व्यवस्थाएं भी अलग-अलग कर दी, बजट भी अलग हो गया और अधिकारी भी बांट दिए गए, पहले ही अधिकारियों की कमी थी और दो निगम किए जाने से जहां व्यवस्थाओं में कुछ हद तक सुधार हुआ तो दूसरी और कर्मचारियों की कमी पूरे पांच साल बनी रही.
विधायक संदीप शर्मा ने बताया कि कोटा दक्षिण नगर निगम में कांग्रेस के महापौर राजीव अग्रवाल ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है और कांग्रेस अल्पमत में आ गई है. इसलिए कांग्रेस के बोर्ड में बनाई गई समितियों की निगरानी भी ठीक प्रकार से नहीं हो पा रही है जिसके कारण निगम का सम्पूर्ण कार्य अस्त व्यस्त हो गया है. लोग अपने काम करवाने के लिए भटकते फिर रहे हैं.
कोटा उत्तर नगर निगम में है मेला समिति अध्यक्ष
कोटा में राष्ट्रीय दशहरा मेला कोटा उत्तर नगर निगम भरवाता है, पहले भी मेला दशहरा को लेकर विवाद चल रहा था. दक्षिण के महापौर ने दूरी बना ली थी. लेकिन जैसे ही सरकार बदली अब दक्षिण नगर निगम मेला भरवाना चाहता है, लेकिन मेला समिति अध्यक्ष कोटा उत्तर नगर निगम के पास है, ऐसे में जब तक समितियां भंग नहीं होती तब तक दक्षिण निगम को अधिकार नहीं मिल सकते.
मंत्री खर्रा ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए तुरंत ही स्थानीय निकाय अधिकारियों को दूरभाष पर निर्देश जारी कर कहा कि अविलम्ब इस मामले में जांच कर कार्रवाई शुरू करें. आने वाले समय में कोटा में निगम और दशहरे मेले को लेकर घमासान छिडने वाला है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion