कोटा में देशभर से जुटे 40 किसान संगठन के प्रतिनिधि, स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ग्राम स्वराज को बताया जरूरी
Kota News: पंजाब में किसान आंदोलन के नेता परमजीत सिंह ने भी चिंतिन शिविर को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी वर्तमान सरकार में भी जारी है.
Kota Kisan Chintan Shivir: विभिन्न राज्यों के किसान प्रतिनिधियों ने ग्राम स्वराज पर कोटा में मंथन किया. तीन दिवसीय चिंतन शिविर में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र, तेलंगाना के 40 किसान प्रतिनिधि शामिल हुए. उन्होंने विकास के लिए ग्राम स्वराज की अवधारणा पर बल दिया. हडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने पंचायती राज को लूट की व्यवस्था बताते हुए कहा कि पटवारी किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन है
दशरथ सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज की अवधारणा को सत्य और अहिंसा का आधार बनाया था. उन्होंने स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ग्राम स्वराज को जरूरी बताते हुए राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लिया. दशरथ सिंह ने कहा, "राजनीतिक दल समाज को विभाजित करने का काम कर रहे हैं. बहुमत से संसद चल सकती है देश नहीं."
40 किसान संगठन के प्रतिनिधियों का जुटान
चिंतन शिवर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश का मालिक गांव में बैठता है. ग्राम स्तर पर संबंधित विकास की व्यवस्था को कायम करना पड़ेगा. इसी से देश की मूल समस्याओं का समाधान संभव है. बिहार के गांधीवादी चिंतक डॉ. बृजेश शर्मा ने शहरीकरण की खामियों को उजागर किया. उन्होंने कहा कि चाणक्य ने पाटलिपुत्र में अहिंसक तरीके से ग्राम स्वराज की अवधारणा को परम शिष्य चंद्रगुप्त के माध्यम से बनाया था.
तीन दिवसीय चिंतन शिविर में हुआ मंथन
कर्नाटक के दयानंद चंद्रशेखर पाटिल ने 26 सूत्रीय एजेंडे को विश्लेषण के लिए रखा. हरियाणा से आए किसान नेता डीके शर्मा ने कहा कि नेता और नौकरशाह किसानों की समस्या की अनदेखी करते हैं. पंजाब में किसान आंदोलन के नेता परमजीत सिंह ने भी चिंतिन शिविर को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी जारी है. बजट में 2.75 प्रतिशत खेती किसानी के लिए आवंटित किया गया है. इसी से समझ सकते हैं कि खेती और किसानी को बहुत कम महत्व मिल रहा है. उन्होंने किसानों से एकजुट रहने का आह्वान किया.
बारां के पवन यादव ने लंबित पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को क्रियान्वित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि किसानों के बच्चों का गांव छोड़कर शहर की तरफ पलायन चिंता का कारण है. गांव को आधुनिकता की ओर घसीटा जा रहा है. जल, जंगल और जलवायु परिवर्तन आज चिंता के केंद्र बिंदु बन गये हैं.
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