Rajasthan News: हाडौती की लघु चित्र शैली का देश दुनिया में स्थान है. 400 साल पुरानी कला को अब बचाने की जद्दोजहद हो रही है. गिने चुने कलाकार लघु चित्र शैली को सिखाने के काम में जुटे हैं. अंतर्राष्ट्रीय लेवर के चित्रकार मोहम्मद शेख लुकमान की टीम युवाओं को कला की बारीकियां सिखा रही है. राजस्थान ललित कला अकादमी एवं कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, जयपुर की ओर से ग्रीष्मकालीन हाडौती लघु चित्र शैली के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कलादीर्घा कोटा में किया जा रहा है.
समन्वयक डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि आयोजन के तहत युवाओं को कला, साहित्य से जोड़ने और हाडौती की लघु चित्र शैली को उचित स्थान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हाडौती संभाग में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. ऐसे में युवाओं को उचित मंच दिलाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि हाडौती की लघु चित्र शैली को विश्व पटल पर जगह मिल सके. हाडौती नेचुरल सोसाइटी के मोहम्मद हनीफ जैदी ने कहा कि लघु चित्र शैली मुख्य रूप से बूंदी की है. लेकिन कई लोगों ने कोटा आकर इस कला का विस्तार किया.
हाडौती लघु चित्र शैली का प्रशिक्षण शिविर
अब विलुप्त हो रही कला को बचाने की कोशिश के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राजा महाराजाओं के समय इसका काफी बोलबाला था और कला की कद्र हुआ करती थी. अब अंतर्राष्ट्रीय लेवर के कलाकार भी बचाने में योगदान दे हैं. उन्होंने कला को बचाने में युवाओं से आगे आने का आह्वान किया. उन्होंने बताया कि लघु चित्र शैली कोटा में 300 साल पुरानी है, जबकी बूंदी में 400 साल से भी अधिक समय के चित्रण देखने को मिलते हैं.
सांवलिया सेठ मंदिर में 17 करोड़ रुपये कैश का चढ़ावा, कई किलो सोने-चांदी समेत निकली ये खास चीज भी