Kota News: ढोल की थाप पर नाचते गाते बराती, आतिशबाजी, बैंड-बाजों के साथ निकाले गए बासन, हल्दी मेहंदी सहित कई रीति रिवाज के साथ धूमधाम के साथ शादी समारोह आयोजित किया गया. हालांकि, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह विवाह किसी सामान्य परिवार के दुल्हा-दुल्हन का नहीं बल्कि दो पेड़ों का था. बरगद यानी बड़ के पेड़ और पीपल के पेड़ का धूमधाम के साथ विवाह सम्पन्न हुआ.
गांव के लोग ही बने बाराती और दुल्हन पक्ष के लोग
गांव के लोग बड़-पीपल की शादी में बारात लेकर निकले और जमकर नाचे. इस दौरान समधी मिलन भी हुआ. कोटा कनवास तहसील के गांव आमली झाड़ में बड़-पीपल की अनोखी शादी कराई गई है. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दो पेड़ों का विवाह हुआ है. इसमें बाराती गांव के ही लोग बने और हिंदू परंपराओं के अनुसार मंगल गीतों के बीच आचार्य ने मंत्र उच्चारण कर फेरे कराए शादी में शामिल होने के लिए सभी ग्रामीण पहुंचे.
बड़-पीपल की शादी से पहले मिलाई गई कुंडली
इस अनोखे विवाह को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही. इस दौरान डीजे की धुन पर बाराती जमकर थिरके. समधी मिलन समारोह का भी कार्यक्रम किया गया. जिस प्रकार से लड़के लड़कियों की शादी होती है, इस प्रकार से विधि विधान के साथ बड़ और पीपल के पेड़ की शादी कराई गई.
देवली मांजी थाना क्षेत्र में शादी के लिए पहले कुंडली मिलवाई गई फिर हल्दी मेहंदी की रस्म के साथ ही लोगों को आमंत्रण भेजकर बुलाया गया. शादी में शामिल होने के लिए सभी ग्रामीण पहुंचे. 23 मई पीपल पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरुवार को बड़ ओर पीपल के पेड़ का विवाह कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न हुआ.
दुल्हा-दुल्हन की तरह सजाया गया पेड़ों को
विवाह से पूर्व मेहंदी, हल्दी, बासन कार्यक्रम हुए और इसके बाद विवाह के लिए बड के पेड़ को दूल्हा तथा पीपल के पेड़ को दुल्हन की तरह सजाया गया. इस मौके पर महिलाओं ने मंगल गीत गाए. धार्मिक अनुष्ठान आचार्य हेमराज शर्मा ने गोधूलिक वेला मुहूर्त में पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया.
इस मौके पर भोजन भंडारे का भी आयोजन किया गया. शादी को संपन्न कराने में ग्रामीणों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और पाणिग्रहण संस्कार के हजारों भक्त साक्षी बने. आचार्य हेमराज शर्मा के बताया कि हिंदू रीति-रिवाजों में सभी धार्मिक कार्य पीपल के पेड़ में किए जा सकते हैं. विवाह करने के बाद ही यह वृक्ष पवित्र माना जाता है. शादी के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने, मात्र से मनोकामना पूर्ण हो जाती है व बंधन बांधने, पूजा करने के लिए पवित्र माना जाता है.
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