Kota Water Supply workers Protest: जलदाय विभाग के निजीकरण के विरोध में शुक्रवार को कोटा संभाग भर के तकरीबन 800 जलदाय कर्मी सामूहिक अवकाश पर रहे. इस दौरान दादाबाड़ी स्थित अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता कार्यालय जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग पर सद्बुद्धि यज्ञ कर सरकार को बुद्धि देने की कामना की गई. कार्य बहिष्कार के बावजूद जल उत्पादन और वितरण से सम्बन्धित तकनीकी कर्मचारी काम पर रहे.
इससे पहले आयोजित सभा को अधीक्षण अभियंता प्रद्युमन बागल, अधिशासी अभियंता अरविंद खींची सहित दर्जनों अधिकारियों ने संबोधित किया और तीखा विरोध का ऐलान किया.
'राजस्थान सरकार की बुद्धि कुपित हो गई है'
उन्होंने कहा कि हमारा सरकार से कोई विरोध नहीं है. हम राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, लेकिन सरकार की बुद्धि कुपित हो गई है. सरकार को सद्बुद्धि देने के लिए यज्ञ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा विभाग जनता को जल उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे काम करता है. इसके बदले में 1000 लीटर पर केवल 5 रुपए लिए जाते हैं.
निजी हाथों में जाने के बाद जिस प्रकार से एक लीटर की बोतल के 20 से 25 रुपए लिए जाते हैं, उसी प्रकार से पानी के बिलों में बेतहाशा वृद्धि होगी. यह आंदोलन केवल कर्मचारी या अधिकारियों का नहीं है, बल्कि आंदोलन जनहितार्थ है. इस आंदोलन को सरकार तुरंत वापस ले, उन्होंने कहा कि घर-घर जाकर लोगों को इस काले कानून के बारे में बताएंगे.
सचिवालय व विधानसभा का होगा घेराव
इस दौरान सरकार के बुलावे पर राजस्थान कौंसिल ऑफ डिप्लोमा इंजीनियर्स के प्रदेश अध्यक्ष तथा संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक डीपी चौधरी वार्ता के लिए जयपुर पहुंचे. डीपी चौधरी ने बताया कि सरकार से वार्ता सकारात्मक रहने की उम्मीद है. यदि किसी प्रकार से वार्ता विफल होती है तो जलदाय कर्मी सोमवार को विधानसभा और सीएम आवास घेराव को लेकर विचार करेंगे. इसके लिए सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को तैयार रहने के लिए कहा गया है.