Rajasthan: राजस्थान की महिलाएं बन रहीं 'देवदूत', हजारों जानें बचाने के लिए ले रहीं अंगदान की शपथ
Rajasthan News: राजस्थान में महिलाएं अंगदान को लेकर सक्रिय हुई हैं. केंद्र की ओर से चलाए जा रहे कैम्पेन में ये महिलाएं भी हिस्सा ले रही हैं और अंगदान के महत्व को समझ रही है.
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Kota News: राज्य सरकार के प्रयास से पूरे प्रदेश में अंगदान (Organ Donation) को लेकर अभियान तेज किए गए हैं. जन-जन तक अंगदान का संदेश पहुंचाया गया है. गोष्ठियां, प्रतियोगिता और अन्य माध्यम से ब्रेन डेड अवस्था की जानकारी दी गई. अंगदान अभियान में राजस्थान के कोटा की महिलाएं भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. बता दें कि राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध प्रदेश सहित 28 राज्यों में महिलाओं की सहमति से अंगदान का काम शुरू किया गया है.
अंगदान के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कुलवंत गौड़ ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से 3 अगस्त को भारतीय अंगदान दिवस घोषित किया गया है. इसी क्रम में राजस्थान सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने राजस्थान में अंगदान पखवाड़े की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक संख्या में लोगों को अंगदान महादान के बारे में पूरी जानकारी देना और अंगदान से संबंधित भ्रांतियों को दूर करना है.
लोगों में आज भी ये भ्रांति है कि ब्रेन डेड व्यक्ति का अंगदान हुआ तो वह अगले जन्म में सही सलामत पैदा नहीं होगा. इसके साथ ही व्यक्ति से लगाव, अंग निकालने से शरीर की दुर्दशा के बारे में लोग आज भी विचलित हो जाते हैं.
महिलाओं को अंगदान की मुहिम से जोड़ा गया
संस्था सचिव डॉ संगीता गौड़ ने बताया कि शाइन इंडिया ने अंगदान महोत्सव को देश भर में मनाने के लिए एक अनोखा काम किया. संस्था सदस्यों ने प्रयास किया कि, क्यों ना भारत के सभी राज्यों से एक-एक महिला को अंगदान की मुहिम में जोड़ा जाए, जिससे पूरे देश में ही अंगदान के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़े.
संगीता ने बताया कि महिलाओं को इस मुहिम में लेने के पीछे उद्देश्य यह भी था कि एक महिला अपने मायके और ससुराल में दो घर का नेतृत्व करती है, इसके साथ ही यह भी पाया गया है कि अंगों को दान कर किसी का भी जीवन बचाने में महिलाओं का अनुपात पुरुषों से अधिक है. महिलाओं में शुरुआत से ही सेवा, ममता, दया और करुणा का भाव होता है. यही कारण है कि वह किसी भी तरह के दान में पीछे नहीं रहती हैं.
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