कोटा में युवाओं ने चार साल में लगाए 7 हजार पौधे, अब 500 बीघा में फैले इस 'आनंद वन' में लोग आते हैं घूमने
Kota News: कोटा यूथ सोसायटी के अध्यक्ष विकास सैनी ने बताया कि चार साल से लगातार पौधारोपण कर बंजर वनभूमि में सात हजार से अधिक हरे-भरे पेड़ लगाकर वन बनाने का सपना सच कर दिखाया है.
Rajasthan News: मानसून सीजन में हर तरफ हरियाली देखने को मिलती है, लेकिन इसके बावजूद लोग पर्यावरण की ओर ध्यान नहीं देते हैं. फिलहाल राजस्थान के कोटा में एक ऐसा ग्रुप है जो नियमित पेड़-पौधों को लगा रहा है उनकी देखरेख कर रहा है. यह ग्रुप नए पौधे लगा रहा है और पौधों के वृक्ष बनने तक अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इसी के तहत 500 बीघा पथरीली जमीन को हरियाली में तब्दील कर दिया गया है. हरियाली से भरपूर इस जगह पर अब लोग घूमने आ रहे हैं.
कोटा यूथ सोसायटी के अध्यक्ष विकास सैनी ने बताया कि चार साल से लगातार पौधारोपण कर बंजर वनभूमि में सात हजार से अधिक हरे-भरे पेड़ लगाकर वन का सपना सच कर दिखाया है. कोरोना काल (साल 2020) में वन विभाग के उपवन संरक्षक रवि मीणा ने अनंतपुरा फोरलेन से आगे यह बंजर जमीन युवाओं को पौधे लगाकर हराभरा बनाने की अनुमति प्रदान की थी.
सोसायटी के युवा सदस्यों ने छुट्टी के दिन वहां जाकर वन विभाग के साथ मिलकर नीम, पीपल, बरगद, कदम, देशी बबूल, अर्जुन, छेल, जंगल जलेबी, खेजड़ी सहित उपयोगी किस्मों के सात हजार से अधिक पौधे लगाए, जो अब बडे़ होकर हरे-भरे पेड़ बन चुके हैं. पवन गुर्जर का कहना है कि युवा सदस्यों ने जब यहां पौधे लगाने के लिए गड्डा खोदना शुरू किया तो पथरीली जमीन होने की वजह से मुश्किलों का समान करना पड़ा.
डीएफओ रवि मीणा ने पर्यावरण हित में संस्था की समर्पित कार्यशैली देख वहां वन विभाग की ओर से गड्ढा खुदवाकर बाहर से मिट्टी डलवाई और पेड़ों की सुरक्षा के लिए चारों ओर चारदीवारी भी करवा दी. गगनदीप सिंह ने बताया कि 30 युवा सदस्य बिजनेस या प्रोफेशन से जुड़े हैं. छुट्टी के दिन रविवार सुबह 7 से 10 बजे तक वो ‘‘आनंद वन’’ जाकर अपने हाथों से नए गढ्डे खोदकर, पौधों की निराई-गुड़ाई और भीषण गर्मी में पानी डालने जैसा काम करते हैं.
वहीं सदस्य कपिल सागित्रा, अंकेश शर्मा कहते हैं कि बंजर पथरीली भूमि पर पौधा लगाना बड़ी चुनौती थी. भीषण गर्मी में संस्था ने टैंकर द्वारा पानी देकर पौधों को बड़ा किया. गर्मी में 47 डिग्री तापमान पर पौधों को बचाने की जिद थी. इस साल भीषण गर्मी में जंगल में सभी प्राकृतिक स्त्रोत सूख चुके थे.
जनवरों के लिए बनवाया टैंक
वन्य जीवों के लिए संस्था ने 70 हजार की लागत से पानी का खुला टैंक बनाया, जो यहां आने वाले हिरण, नीलगाय, गाय, गिलहरी, कौए, चिड़िया आदि वन्यजीवों और पक्षियों के लिए वरदान साबित हुआ. यहां पानी की खेल बनाने की योजना है. कुशाल जैन ने बताया कि आनंद वन से दो बड़े नाले निकल रहे हैं, जहां बरसाती पानी और मिट्टी बहकर आती है. यदि वन विभाग वहां दो-तीन छोटे एनीकट बनवा दे तो बरसात का पानी रुकेगा और भूजल स्तर बढ़ जायेगा. इससे पौधों के साथ वन्य जीवों को भी साल भर पेयजल मिलता रहेगा.