Krishi Mahotsav: क्या आपने कभी मधुमक्खी के 31 तरह का शहद चखा है? ये स्टार्टअप कर रहा नामुमकिन को मुमकिन
कोटा में कृषि महोत्सव में किसानों की आय को बढ़ाने के तरीके बताए गए. जहां गढ़ेपान की संतोष शर्मा 31 तरह के शहद बना रही हैं तो वहीं पटना की ऋचा वात्सायन केले के पेड़ के अपशिष्ठ से सैनेटरी पैड बना रही हैं.

Krishi Mahotsav: कोटा शहर में दो दिवसीय कृषि महोत्सव के दौरान एक से बढ़कर एक स्टार्टअप्स ने किसानों को चौंका दिया है. जहां उनकी आय को बढ़ाने के विभिन्न तरीके बताए गए तो खेती के साथ नई शुरूआत करने का भी तरीका बताया गया. यही नहीं खेती की लागत को कम करने के कई तरीके भी बताए गए. किसानों ने कृषि मेले से प्रशिक्षण के माध्यम से भी बहुत कुछ सीखा. कृषि महोत्सव के दौरान नारीशक्ति की भी झलक दिखाई दी. यहां महिलाओं ने अपने स्टार्टअप्स में दिखाए उत्पाद और सेवाएं प्रदर्शित कीं, जिन्हें खासा पसंद किया गया.
मधुमक्खी पालन कर शहद की बनाई 31 वेरायटियां
गढ़ेपान निवासी संतोष शर्मा के पति के दोस्त हरियाणा में मधुमक्खी पालन का काम करते थे. पहले तो संतोष उनसे खरीद कर शहद को आगे बेचती थीं. लेकिन पिछले तीन साल से उन्होंने खुद मधुमक्खी पालन का काम प्रारंभ कर दिया. आज उनके पास 1200 से अधिक बी.बॉक्स हैं, जिनकी मदद से वे 31 तरह के शहद बना रही हैं. उन्होंने 20 श्रमिकों को रोजगार भी दे रखा है. उनका अधिकांश शहद विदेशों में एक्सपोर्ट हो रहा है.
केले के अपशिष्ठ से बनाया सैनेटरी पैड
आमतौर पर उपयोग में लाए जाने वाले सैनेटरी पैड में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक होता है जो सुरक्षित नहीं है. उपयोग किया हुआ सैनेटरी पैड नष्ट होने में 300 से 500 साल लगते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है. इसी सोच ने पटना की ऋचा वात्सायन को आईआईटी खड़गपुर की मदद से केले के पेड़ के अपशिष्ठ से बना सैनेटरी पैड बनाने को प्रेरित किया. यह स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल हैं. बिहार में 500 से अधिक महिलाएं वर्तमान में इसका उपयोग कर रही हैं.
खेती के साथ कमाई के कई रास्ते
कृषि महोत्सव में हजारों किसान प्रशिक्षण शिविर में सम्मिलित हुए. कुल 30 सत्रों का आयोजन किया गया. इन शिविरों में किसानों ने खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने की विधा सीखी. वहीं किसानों को खेती को उन्नत खेती बनाने, खेती में टेक्नोलॉजी का उपयोग करने, बायोफर्टिलाइजर, ड्रोन टेक्नॉलाजी का उपयोग करने, कम पानी में धान पैदा करने, बागवानी के क्षेत्र को और विस्तृत करने आदि की जानकारी मिली. शिविर में कुक्कुट पालन, बकरी पालन, नेचुरल फार्मिंग, पशु रोग उपचार, मिलेट्स, बी-कीपिंग, सब्जी-फल उत्पादन आदि विषय पर सत्र का आयोजन हुआ. इस दौरान किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कृषि से जुड़ी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध करवाई गई.
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