(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan Politics: बीजेपी-कांग्रेस नेताओं को सता रहा 'पैराशूट' उम्मीदवार का डर, जानें क्या रहा है इतिहास
Udaipur Politics: उदयपुर शहर सीट पर अब तक बीजेपी के गुलाब चंद कटारिया प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उनको असम का राज्यपाल बना दिया गया है. इससे यह सीट खाली हुई है. यहां से कई बाहरी नेता जीत चुके हैं चुनाव.
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने का ही समय बचा है. राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार में लगी हुई हैं. वे एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देती हैं. इन पार्टियों के भीतर भी कलह मचा हुआ है. एक-एक सीट के लिए कई-कई दावेदार हैं. ऐसा ही कुछ हाल राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण माने जाने वाले मेवाड़ के केंद्र उदयपुर शहर सीट का भी है.
यहां उम्मीदवारी जता रहे स्थानीय नेताओं को पैराशूट उम्मीदवार का डर सता रहा है. इसके पीछे कारण यह है कि कई बाहरी नेता उदयपुर शहर सीट का टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं. उदयपुर का इतिहास भी ऐसा ही रहा है कि यहां से जो भी विधायक-सांसद रहे हैं, वह बाहरी ही रहे हैं. ये बाहरी नेता राजस्थान की राजनीति में दिग्गज साबित हुए हैं. आइए जानते हैं उदयपुर के इस इतिहास के बारे में और किन बाहरी नेताओं का स्थानीय नेताओं को सता रहा है डर.
बीजेपी में कितने दावेदार?
उदयपुर शहर सीट पर पहले भारतीय जनता पार्टी की बात करते हैं. यह सीट गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से खाली हुई है. इस सीट के लिए बीजेपी जिलाध्यक्ष रविंद्र श्रीमाली, उपमहापौर पारस सिंघवी, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष अलका मूंदड़ा, जनता सेना सुप्रीमो रणधीर सिंह भिंडर प्रमुख दावेदार हैं. ये नेता अपनी दावेदारी जता भी रहे हैं. वहीं एक नेता और हैं जो उदयपुर संभाग के डूंगरपुर जिले से हैं, उनका नाम है केके गुप्ता. उन्होंने इस सीट पर सक्रियता बढ़ा दी है. उनकी सक्रियता स्थानीय नेताओं के गले की फांस बन गई है.
कांग्रेस का कौन है चेहरा?
वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो कोई प्रमुख चेहरा नहीं है. एकमात्र चेहरा पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास हैं, जो पिछली बार गुलाबचंद कटारिया के सामने चुनाव हार चुकीं हैं. अब यहां पूर्व विधायक त्रिलोक पूर्बिया, कांग्रेस के जिला महामंत्री राजीव सुहालका, पंकज शर्मा, गोपाल शर्मा मुख्य चेहरे हैं जो उम्मीदवारी अंदर ही अंदर जता रहे हैं. वहीं डूंगरपुर जिले के ही दिनेश खोड़निया की शहर में काफी चर्चा है. इनका स्थानीय नेता अंदर ही अंदर विरोध भी कर रहे हैं. अब पार्टी के निर्णय पर ही सामने आएगा कि उदयपुर ने पैराशूट उम्मीदवार का इतिहास बदलता है यह दोहराता है.
वे बाहरी नेता उदयपुर में दिग्गज
पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया झालावाड़ में जन्मे थे और राजसमंद जिले के नाथद्वारा और उदयपुर में प्राथमिक शिक्षा हासिल की. वह बाहरी थे फिर भी उदयपुर शहर सीट से उन्होंने 4 बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास मूल रूप से राजसमंद जिले के नाथद्वारा की रहने वालीं हैं. वो उदयपुर में बसीं हैं. उन्होंने यहां से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और मंत्री बनीं. वो उदयपुर संसदीय सीट से भी चुनाव जीकर मंत्री बन चुकी हैं.
पूर्व गृह मंत्री और नेताप्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, वो भी राजसमंद जिले के देलवाड़ा के रहने वाले हैं. वो उदयपुर विधानसभा सीट से लंबे समय तक विधायक रहे. अभी असम के राज्यपाल हैं. किरण माहेश्वरी में राजसमंद जिले की मूल निवासी हैं. लेकिन वो उदयपुर से सांसद रहीं.वो मंत्री भी रहीं, कोरोना की वजह से उनका निधन हो गया.
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