Rajasthan Lok Sabha Election 2024:  राजस्थान की मेवाड़ की लोकसभा सीटों पर मतदान में एक महीन से कम वक्त रह गया है. मेवाड़ की सीटों पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा. मतदान में समय कम होने की वजह से मेवाड़ वागड़ की 4 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी रोजाना जोरशोर से प्रचार कर रहे हैं और एक दूसरे पर जमकर जुबानी हमला बोल रहे हैं.


वागड़ की बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर सियासी पेंच फसा हुआ है. कांग्रेस ने यहां अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. इसके पीछे भारत आदिवासी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर अटकलें लगाई जा रही है. फिलहाल ना तो गठबंधन तय हुआ और ना कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया.
 
हालांकि गठबंधन की अटकलों के बीच भारत आदिवासी पार्टी ने अपना प्रत्याशी जरुर घोषित कर दिया है. अगर इन दोनों का गठबंधन हुआ तो यहां पर दोनों की स्थिति कितनी मजबूत होगी और बीजेपी के लिए क्या चुनौती होगी? आइये जानने की कोशिश करते हैं.


कांग्रेस के परेशानी की क्या है वजह?
राजस्थान विधानसभा चुनाव की बात करें, तो वागड़ (बांसवाड़ा 5 और डूंगरपुर 4) सीटें हैं, लेकिन एक सीट उदयपुर लोकसभा में होने के कारण बांसवाड़ा लोकसभा में 8 विधानसभा हैं. इन 8 विधानसभा में से 5 सीटें कांग्रेस, 2 पर बीजेपी और एक सीट पर भारत आदिवासी पार्टी कब्जा है. इसके बावजूद कांग्रेस पर सियासी संकट है, क्योंकि दिग्गज नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.


कांग्रेस छोड़ने के बाद महेंद्रजीत सिंह मालवीय को बीजेपी ने इसी लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है. इससे कांग्रेस के सामने सियासी संकट पैदा हो गया है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस के पास दो रास्ते हैं, पहले तो वह भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन कर ले और दूसरा अपना प्रत्याशी खड़ा करे. इस सीट से उम्मीदावारों की दौड़ में पूर्व मंत्री अर्जुन बामनिया के पुत्र विकास बामनिया का नाम चर्चा में है.


विधानसभा चुनाव में वोट शेयर में कांग्रेस रही आगे
वागड़ में सियासी समीकरण हवा के रुख की तरह बदले हैं और आगे भी बदलने की संभावना है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में यहां से वोट शेयर के मामले में कांग्रेस पहले नंबर पर रही, दूसरे पर भारत आदिवासी पार्टी का कब्जा रहा था. जबकि प्रदेश में सत्तासीन बीजेपी वोटिंग शेयर के मामले में तीसरे नंबर रही.


जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे यहां से बीजेपी को लोकसभा में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. अब महेंद्रजीत सिंह मालवीय के बीजेपी में शामिल होने के बाद हवा का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है. उनका पाला बदलना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. यही वजह है कि कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी के बीच गठबंधन की चर्चाएं जोरों पर हैं. 


गठबंधन की अटकलों से बढ़ी बीजेपी की टेंशन
अगर दोनों का गठबंधन हुआ तो बीजेपी के सामने चुनौती बढ़ जाएगी. इसके पीछे विधानसभा चुनाव के आंकड़े हैं. यहां लोकसभा में आने वाली 8 विधानसभा सीटों पर 5 कांग्रेस के विधायक हैं जिसमें से 4 पार्टी के ही साथ हैं. वहीं 2 भारत आदिवासी पार्टी के विधायक हैं. यही नहीं भारत आदिवासी पार्टी 4 सीटों पर वोट हासिल करने के मामले में दूसरे नंबर पर रही.


इन आंकड़ों पर गौर करने के बाद मजबूत गठबंधन ही बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है. हालांकि महेंद्रजीत सिंह मालवीया के साथ कई कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं. यह न सिर्फ क्षेत्र में बीजेपी को मजबूत करेंगे बल्कि सियासी नजरिया से बीजेपी के लिए एक सकारात्मक पहलू है.


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