Rajasthan Lok Sabha Election 2024: राजस्थान सहित पूरे देश में लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल शुरू हो गई है. लोकसभा चुनाव में कई सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, लेकिन साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद दोबारा परिसीमन होगा. जिसके बाद कई लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति बदल जाएगी. पूरे देश में जिन जगहों पर लोकसभा सीटें आरक्षित हैं, उन सीटों पर लोगों को परिसीमन का बेसब्री से इंतजार है.
प्रदेश की सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है. साल 1971 से साल 2004 तक हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी 6 बार जीतकर लोकसभा में पहुंचे है, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी 3 बार जीते है. इस सीट पर एक बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी ने बाजी मारी है.
सवाई माधोपुर लोकसभा में कब-कौन जीता?
साल 1971 के लोकसभा चुनाव में सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से मात्र तीन प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इस दौरान कांग्रेस ने छुट्टा लाल को अपना उम्मीदवार बनाया था, जबकि स्वतंत्र पार्टी ने मीठा लाल और भारतीय क्रांति दल ने बट्टू लाल को चुनाव मैदान में उतारा था. 1971 के लोकसभा चुनाव में सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी छुट्टा लाल ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के छुट्टा लाल ने स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी मीठा लाल को हराया था. छुट्टा लाल को कुल 1 लाख 29 हजार 19 वोट मिले थे. तो वही दूसरे नंबर पर रहे स्वतंत्र पार्टी के मीठा लाल मीणा को कुल 1 लाख 11 हजार 253 वोट मिले थे.
इसी तरह साल 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर से छुट्टा लाल भरोसा दिखाते चुनावी रण में उतारा था. हालांकि इस बार मीठा लाल भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. मीठा लाल ने कांग्रेस के छुट्टा लाल को हराकर लोकसभा पहुंचे. भारतीय लोकदल के मीठा लाल को कुल 2 लाख 14 हजार 225 वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी छुट्टा लाल को कुल 88 हजार 315 वोट मिले थे.
साल 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राम कुमार को टिकट दिया था और जनता पार्टी ने मीठा लाल को अपना प्रत्याशी बनाया था. इस बार मीठा लाल को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने इस सीट पर दोबार कब्जा जमाया. कांग्रेस के राम कुमार ने जनता पार्टी के प्रत्याशी मीठा लाल को हरा दिया था. साल 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे राम कुमार को कुल 1 लाख 74 हजार 226 वोट मिले थे, तो दूसरे नंबर रहे जनता पार्टी के मीठा लाल को कुल 1 लाख 26 हजार 95 वोट मिले थे.
साल 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राम कुमार पर ही भरोसा जताया. कांग्रेस ने एक बार फिर राम कुमार को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था. भारतीय जनता पार्टी ने किरोड़ी लाल को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था. कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी राम कुमार ने बीजेपी प्रत्याशी किरोड़ी लाल को हराकर भरोसे पर खरा उतरे. राम कुमार को कुल 2 लाख 48 हजार 422 वोट मिले थे और बीजेपी उम्मीदवार किरोड़ी लाल को कुल 1 लाख 47 हजार 424 वोट मिले थे.
साल 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने अपने उन्ही प्रत्याशियों पर ही भरोसा जताया, जिन्होंने 1984 में लोकसभा चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने राम कुमार को और बीजेपी ने किरोड़ी लाल को फिर से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था. बीजेपी के किरोड़ी लाल ने कांग्रेस के राम कुमार को हराकर लोकसभा पहुंचे. बीजेपी के किरोड़ी लाल को कुल 3 लाख 74 हजार 601 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस पार्टी के राम कुमार को कुल 1 लाख 76 हजार 468 वोट मिले थे.
साल 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को बदला और बीजेपी ने कुंजी लाल को टिकट दिया था. कांग्रेस पार्टी ने राम स्वरुप मीणा को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा. साल 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कुंजी लाल की जीत हुई. कुंजी लाल ने कांग्रेस प्रत्याशी रामस्वरूप मीणा को हराया था और उनकी इस जीत से बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा. कुंजी लाल को कुल 1 लाख 85 हजार 556 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे रामस्वरूप मीणा को कुल 1 लाख 68 हजार 330 वोट मिले थे.
साल 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदल दिया और उषा देवी को टिकट देकर चुनाव में उतारा. भारतीय जनता पार्टी ने फिर से कुंजी लाल को ही टिकट देकर भरोसा जताया. कांग्रेस की उषा देवी ने बीजेपी के कुंजी लाल को हराया था. कांग्रेस प्रत्याशी उषा देवी को कुल 1 लाख 66 हजार 103 वोट मिले थे, तो वहीं बीजेपी के कुंजी लाल को कुल 1 लाख 43 हजार 853 वोट मिले थे.
साल 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर उषा देवी को ही अपना प्रत्याशी बनाया, तो बीजेपी ने कुंजी लाल की जगह पर रमेश चंद को अपना प्रत्याशी बनाया था. उषा देवी ने इस सीट पर दोबार जीत दर्ज की और रमेश चांद को हराया था. साल 1998 के लोकसभा चुनाव में उषा देवी को कुल 2 लाख 82 हजार 472 वोट मिले थे, बीजेपी प्रत्याशी रमेश चंद को कुल 2 लाख 20 हजार 138 वोट मिले थे.
साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर उषा देवी को टिकट दिया तो बीजेपी ने जसकौर को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा था. बीजेपी प्रत्याशी जसकौर ने कांग्रेस की उषा देवी को हराकर लोकसभा पहुंची. बीजेपी की जसकौर को कुल 2 लाख 77 हजार 14 वोट मिले थे, तो दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस की उषा देवी को कुल 2 लाख 18 हजार 133 वोट मिले थे.
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उषा देवी की जगह नमो नारायण को अपना प्रत्याशी बनाया. बीजेपी ने जसकौर को फिर से टिकट दिया था लेकिन कांग्रेस के नमो नारायण ने बीजेपी की जसकौर को हराकर लोकसभा पहुंचे थे. कांग्रेस के नमो नारायण को कुल 3 लाख 67 हजार 553 वोट मिले थे, तो दूसरे नंबर पर रहीं बीजेपी की जसकौर को कुल 2 लाख 56 हजार 390 वोट मिले थे.
परिसीमन के बाद सवाई माधोपुर में जीती कांग्रेस
सवाई माधोपुर लोकसभा सीट को साल 2008 के परिसीमन के बाद टोंक- सवाई माधोपुर कर दिया गया. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने नमो नारायण को ही अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन बीजेपी ने अपना प्रत्याशी गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला को बनाया था. टोंक- सवाई माधोपुर की सीट पर नमो नारायण की जीत हुई और किरोड़ी सिंह बैंसला को हार का मुंह देखना पड़ा. नमो नारायण को कुल 3 लाख 75 हजार 572 वोट मिले थे, तो बीजेपी प्रत्याशी किरोड़ी सिंह बैंसला को कुल 3 लाख 75 हजार 255 वोट मिले थे.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में टोंक- सवाई माधोपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी ने सुखबीर सिंह जौनपुरिया को प्रत्याशी बनाया. इस बार कांग्रेस ने पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि अपनी साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी ने क्लीन बोल्ड कर दिया था. बीजेपी प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद अजहरुद्दीन को हराया था. बीजेपी प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनपुरिया को कुल 5 लाख 48 हजार 537 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद अजहरुद्दीन को कुल 4 लाख 13 हजार 31 वोट मिले थे.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फिर सुखबीर सिंह जौनपुरिया को ही अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन कांग्रेस ने नमो नारायण को अपना प्रत्याशी बनाया था. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनपुरिया की जीत हुई और नमो नारायण को हार का मुंह देखना पड़ा था. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुखबीर सिंह जौनपुरिया को कुल 6 लाख 44 हजार 319 वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी नमो नारायण को कुल 5 लाख 33 हजार 28 वोट मिले थे।
2024 लोकसभा चुनाव में बदली परिस्थितियां
अब साल 2024 के लोकसभा चुनाव की फिर से दोनों पार्टियां आमने सामने हैं. इस बार साल 2019 के मुकाबले परिस्थितिया बदली हैं. साल 2019 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी, इस बार भजनलाल शर्मा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार है. इस बार देखना होगा टोंक- सवाई माधोपुर सीट पर सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा. इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए दोनों प्रमुख सियासी दल जोरशोर से तैयारी कर रही हैं.
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