उदयपुर में 'अफसर vs अफसर' के बीच है लड़ाई, पूर्व सांसदों समेत कई दिग्गज नेताओं का कटा पत्ता
Lok Sabha Election: अचानक एंट्री लेकर प्रत्याशी बने बीजेपी के मन्नालाल रावत और कांग्रेस के ताराचंद मीणा अपनी सियासी पिच लंबे समय से तैयार कर रहे थे. मन्नालाल रावत आरटीओ पद पर लंबे समय तक रहे.
Udaipur Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय पार्टियों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. उदयपुर लोकसभा सीट पर पहली बार अफसर v/s अफसर का मुकाबला होने वाला है. पूर्व आईएएस और उदयपुर कलेक्टर रहे कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीणा और पूर्व परिवहन एडिशनल कमिश्नर बीजेपी प्रत्याशी मन्नालाल रावत आमने सामने हैं.
इसकी घोषणा के बाद अब बीजेपी और कांग्रेस में किसके पत्ते साफ हुए और दोनो अफसर अपना सियासी पथ कबसे तैयार कर रहे हैं, इसकी चर्चाएं हो रही हैं.
पूर्व सांसद, वर्तमान सांसद, विधायक सहित कई दिग्गजों के पत्ते साफ
चर्चाएं हैं कि बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से जो प्रत्याशी घोषित किए हैं, वो दोनों बाहरी थे और पार्टी में एंट्री लेते ही उदयपुर लोकसभा सीट का चेहरा बन गए हैं. इस कारण उदयपुर में दोनों पार्टियों के दिग्गज नेता जिसमें सांसद, पूर्व सांसद, विधायक सहित कई दिग्गजों के पत्ते साफ हो गए हैं. बड़ी बात तो यह है की वह दावेदारी भी जता रहे थे.
बीजेपी की बात करें तो दो बार से सांसद अर्जुन लाला मीणा जो को अपने स्वास्थ्य के कारण कुछ समय से फील्ड में दिख नहीं रहे थे लेकिन उन्होंने दावेदारी जताई थी. इसके अलावा, हरीश मीणा और नरेंद्र मीणा जो स्थानीय पदों पर हैं दावेदारी जता रहे थे. इधर चुन्नीलाल गरासिया को पार्टी ने राज्यसभा सांसद बना दिया जिसे विरोध की संभावना कम हो गई.
कांग्रेस ने पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा, उदयपुर जिले के खेरवाड़ा विधायक दयाराम परमार, पूर्व मंत्री मांगीलाल गरासिया, उदयपुर ग्रामीण विधानसभा प्रत्याशी रहे विवेक कटारा का पत्ता काट ताराचंद आए हैं.
मीणा 2 साल तो रावत लंबे समय से कर रहे थे तैयारी
पार्टी में अचानक एंट्री लेकर प्रत्याशी बने बीजेपी के मन्नालाल रावत और कांग्रेस के ताराचंद मीणा अपनी सियासी पिच लंबे समय से तैयार कर रहे थे. मन्नालाल रावत की बात करें तो वह उदयपुर में परिवहन अधिकारी (आरटीओ) पद पर लंबे समय तक रहे. चर्चा हैं कि रावत इसके लिए वर्ष 2003 से जुटे हुए थे. वनवासी कल्याण परिषद सहित जनजाति संगठनों से जुड़े हैं. यही नहीं, पिछले कई साल तक आरएसएस के प्रताप गौरव केंद्र में भी आना जाना था.
वहीं, आईएएस ताराचंद मीणा अपने सियासी ग्राउंड को पिछले 2 साल से तैयार करने में जुटे हैं. उन्होंने उदयपुर में कलेक्टर रहते मिशन कोटड़ा शुरू किया था. जिसमें उदयपुर के सुदूर कोटड़ा में कई सुविधाएं पहुंचाई थी. विधानसभा में भी इसी क्षेत्र की झाड़ोल विधानसभा से टिकट मिलने की चर्चाएं थी लेकिन नहीं मिली.
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