Lok Sabha Elections 2024: तीन दिन पहले 15 जून को आप आदमी पार्टी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता और दिल्‍ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि विपक्षी दल एक जुट नहीं हुए तो 2024 के बाद देश में चुनाव ही नहीं होंगे. इस दौरान उन्‍होंने एक शर्त यह रख दी कि यदि कांग्रेस दिल्‍ली और पंजाब में चुनाव नहीं लड़ेगी तब आम आदमी पार्टी राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश को छोड़ने के लिए तैयार है. यानी उनकी पार्टी इन दोनों ही राज्‍यों में चुनाव नहीं लड़ेगी, लेकिन सच यह नहीं है. एबीपी लाइव की पड़ताल में यह सामने आया कि इन दोनों ही राज्‍यों में आम आदमी पार्टी इतना आगे निकल चुकी है कि वहां से वापस लौटना संभव नहीं है.


कांग्रेस यह कह भी दे कि दिल्‍ली और पंजाब में वह चुनाव नहीं लड़ेगी, यानी कांग्रेस से सौदा हुआ तब भी इन दोनों ही राज्‍यों में चुनाव लड़ने से आप पीछे नहीं हटेगी . दोनों ही राज्‍यों में जमीनी स्‍तर पर पकड़ बनाने के लिए आप के कार्यकर्ता पिछले कई सालों से कार्य कर रहे हैं. दोनों ही राज्‍यों में आप की ताकत को बढ़ाने के लिए दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद दौरे कर रहे है. 


पहले राजस्‍थान का स्‍थानीय समीकरण समझिए 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रविवार 18 जून को राजस्‍थान के श्रीगंगानगर में जनसभा दूसरी सभा हो रही है. इससे पहले केजरीवाल ने 13 मार्च को जयपुर में तिरंगा यात्रा निकाली थी, जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी शामिल हुए थे. उसके बाद यह दूसरी बड़ी ज़न सभा है, जिसमें चुनाव के लिए शंखनाद कर दिया जाएगा. आप के अध्यक्ष नवीन पालीवाल ने बताया कि यह सभा पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यहां बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटेंगे. पालीवाल ने बताया कि अभी तज राजस्थान में आप ने सात हजार सदस्यों को शपथ दिलाई है. तीन बार आयोजित हुए शपथ ग्रहण में कुल 7 हजार लोगों ने सदस्यता की शपथ ली है.


आप ने पहले ही एलान कर दिया है कि राजस्थान की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. इसके लिए पूरी तैयारी भी की जा चुकी है. प्रत्याशियों के चयन की प्रकिया भी लगभग पूरी हो चुकी है. आने वाले दिनों में भी प्रत्‍याशियों की सूची जारी की जा सकती है, जिससे समय रहते उनकी ओर से तैयारी की जा सकें.


एमपी में आप की एंट्री से किसे लगेगा झटका 
मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भी आपकी ओर से तेजी से तैयारी की जा रही है. 14 मार्च को भोपाल में दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान की ओर से बड़ी रैली की गई थी, जिसमें आप की ओर से सबसे ज्‍यादा हमला कांग्रेस पर ही किया गया था. आप के प्रवक्‍ता अतुल शर्मा ने बताया कि पार्टी की अगली सभा एक जुलाई को ग्वालियर मे होने जा रही है. शर्मा के अनुसार मध्यप्रदेश मे आम पार्टी के सदस्‍य के तौर पर पांच लाख से ज्‍यादा लोगों को जोड़ा जा चुका है. 


'दबाव बनाने के लिए रखी जा रहीं शर्तें'
कांग्रेस को करीबी से जानने वाले रशीद किदवई का कहना है कि आम आदमी पार्टी की महत्‍वाकांक्षा बहुत अधिक है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो कांग्रेस को कमजोर होने पर ही आम आदमी पार्टी की ताकत बढ़ी है. आप की ओर से केवल कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए ऐसी शर्त रखी जा रही है, जिससे उसके लिए मैदान खाली हो जाए. कांग्रेस एक बार यह कह भी दे कि पंजाब और दिल्‍ली में वह चुनाव नहीं लड़ेगी, उसके बाद भी आप राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. गुजरात में क्‍या हुआ, आप के कारण कांग्रेस को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह पंजाब में कांग्रेस को ही हराकर आप ने सरकार बनाई है.


सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को?
चुनाव विश्‍लेषक  यशवंत देशमुख का कहना है कि आप ने जो शर्त रखी है, उसके पीछे तर्क है. यदि विपक्षी एकता की बात की जाए तो समझौता तो करना ही पड़ेगा, ऐसा न करने की स्थिति में सबसे अधिक नुकसान भी कांग्रेस को होगा. क्‍योंकि आप ने दिल्‍ली, पंजाब और गुजरात में कांग्रेस को डेंट लगा दिया है. आने वाले समय में राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में क्‍या होगा. यह तो वक्‍त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि आप की गाड़ी जिस तेजी से इन दोनों राज्‍यों में बढ़ी रही है, वहां से शायद ही अब आप वापस लाए. लेकिन इससे सबसे अधिक कांग्रेस को ही सतर्क होने की जरूरत है.


(इनपुट: जयपुर से संतोष कुमार पांडेय और भोपाल से नितिन ठाकुर)


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