Rajasthan: मानवेंद्र सिंह बीजेपी छोड़ने के बाद हारे तीन चुनाव, राहुल कस्वां के लिए ये रहेंगी चुनौतियां
Rajasthan Politics: 2018 में बीजेपी विधायक रहते हुए मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस में शामिल हुए थे, उसके बाद चुनाव में मानवेन्द्र हार गए थे. वहीं अब राहुल कस्वां ने भी सांसद रहते हुए कांग्रेस ज्वाइन की है.
Rajasthan News Today: राजस्थान में बीजेपी से कांग्रेस और कांग्रेस से बीजेपी जाने वाले नेताओं के लिए 'यात्रा' ज्यादा फायदेमंद नहीं रही. कई दिग्गज ऐसे रहे हैं जिन्होंने अदला बदली की वो लगातार चुनाव हार ही रहे हैं. इसी तरह अब चूरू के दो बार के सांसद राहुल कंस्वा को लेकर आकलन लगाया जा रहा है.
राहुल कस्वां के लिए कांग्रेस की यात्रा कितनी फायदेमंद रहेगी इसपर चूरू में भी अंदाजा लगाया जा रहा है. दरअसल, जब कल राहुल कंस्वा ने दिल्ली में कांग्रेस ज्वाइन किया था तब न तो वहां पर अशोक गहलोत थे और न ही सचिन पायलट. हां, राहुल के कांग्रेस जॉइन करने के बाद अशोक गहलोत ने ट्वीट करके बधाई दी थी.
चूंकि, राहुल कंस्वा एक बड़े राजनीतिक घराने से आते हैं. उनके दादा, पिता और मां तीनों सांसद, विधायक और मंत्री रहे हैं और राहुल दो बार से सांसद हैं. इसलिए चूरू जिले में इस परिवार की एक 'राजनीतिक अदावत' कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के घराने से रही है. जानते हैं इनका राजनीतिक प्रभाव क्या पड़ेगा?
मानवेंद्र सिंह जसोल की कहानी ?
बीजेपी के दिग्गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह जसोल भाजपा के टिकट पर सांसद और विधायक बने. इतना ही नहीं उन्होंने विधायक रहते हुए वर्ष 2018 में बीजेपी छोड़ दी थी. उसके बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने झालरापाटन से वसुंधरा राजे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन बड़े वोटों के अंतर से हार हुई.
उसके बाद साल 2019 में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए. मानवेंद्र सिंह जसोल उसके बाद साल 2023 में सिवाना सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और तीसरे स्थान पर रहे. एक बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले मानवेंद्र को भाजपा से हटने के बाद चुनाव में हार मिल रही है. इतना ही नहीं उन्हें अपने घर में हारना पड़ रहा है.
राहुल कंस्वा के लिए चुनौती?
चूरू लोकसभा सीट पर पांच बार से लगातार कांग्रेस हार रही है. जब उसके पहले दो बार लगातार कांग्रेस जीती थी तब भी राहुल कंस्वा के पिता की हार हुई थी. चूरू जिले की राजनीति के जानकारों का मानना है कि यहां पर पिछले दो चुनाव से कांग्रेस की हार बड़े वोटों के अंतर् से हुई है. क्योंकि, यहां पर राष्ट्रीय मुद्दे पर मत पड़ रहा है. इसलिए यहां पर उम्मीदवार का कोई प्रभाव नहीं है.
जबकि, विधानसभा में उम्मीदवार का असर दिखा है. इस बार तो विधानसभा चुनाव में सादुलपुर सीट पर बसपा को जीत मिल गई है. जिसे क्षेत्र में राहुल कंस्वा का घर भी आता है. इसलिए जानकारों का भी कहना है कि राहुल के कांग्रेस की राजनीतिक यात्रा के परिणाम का इंतजार रहेगा.
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