Phalodi Satta Bazar: राजस्थान के जोधपुर जिले से 140 किलोमीटर दूर छोटे से फलोदी जिला जहां सट्टा बाजार चलता है. देश दुनिया में फलोदी सट्टा बाजार के नाम से मशहूर है. इस सट्टा बाजार का हाल यह है कि यहां पर मौजूद लोग छोटी-छोटी बातों पर सट्टा लगा लेते हैं. जैसे किसी का जूता हवा में फेंक दिया जाए तो वह जूता जमीन पर सीधा गिरेगा या उल्टा गिरेगा. 


बारिश होगी या नहीं होगी इस पर भी सट्टा लगाया जाता है. सड़क पर दो सांड लड़ रहे हैं. उसमें कौन जीतेगा कौन हारेगा. इस पर भी सट्टा लगाया जाता है. फलोदी सट्टा बाजार में करोड़ों रुपए का सट्टा बातों बातों लगा लिया जाता है.


सुर्खियों में बना रहता है फलोदी सट्टा बाजार
फलोदी शहर का "गांधी चौक" जहां पर सटोरियों की जोरदार जमघट रहती है. इस समय फलोदी सट्टा बाजार के सटोरियों में लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल गर्म है.


फलोदी सट्टा बाजार सबसे ज्यादा अपने सटीक आकलन को लेकर सुर्खियों में बना रहता है. लोकसभा चुनाव के नतीजे को लेकर फलोदी सट्टा बाजार में किसका भाव ज्यादा चल रहा है. किसका भाव कम इसकी चर्चा देश भर में हो रही है.


सभी घरों में  होता है सट्टे का कारोबार
फलोदी के गांधी चौक में सट्टा बाजार सुबह 8:00 बजे शुरू होता है. जो 11:00 बजे बंद हो जाता है. शाम को फिर से सट्टा बाजार शुरू होता है. जो देर रात तक चलता है. यहां पर दो दर्जन से अधिक सटोरीय कारोबारी है. इन सब के अलावा यहां पर सैकड़ों दलाल और सटोरिया है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यहां पर नुक्कड़ से लेकर सभी घरों में सट्टे का कारोबार होता है. जिसमें बच्चे से लेकर बूढ़े तक शामिल होते हैं. खास बात यह है कि फलोदी के सट्टा कारोबारियों के संपर्क में देश दुनिया के सभी सटोरिय हैं.


दूसरे राज्यों में भी सटोरियों के लगते हैं पैसे
फलोदी सट्टा बाजार का कारोबार देश दुनिया में फैला हुआ है. लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव बारिश या शेयर मार्केट में हो रहे. उतार चढ़ाव को लेकर देश के बड़े-बड़े शहरों दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश महाराष्ट्र में सट्टा लगाए जाते हैं. देश के दूसरे राज्यों में भी सटोरियों के पैसे लगते हैं. इन पैसों पर दलालों को तीन टका दलाली के तौर चार्ज किया जाता हैं.


चुनाव नतीजे पर करना होता है प्रेडिक्शन
फलोदी सट्टा बाजार के सटोरियों के सटीक आकलन को लेकर कई बार अनुमान सही निकलता है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि कैसे छोटी से शहर में रहने वाले सट्टा कारोबारी सही वह सटीक जानकारी पता कर लेते हैं. इसके पीछे उनके अपने तर्क होते हैं. मान लीजिए किसी चुनाव नतीजे पर प्रेडिक्शन करना होता है, तो वो बताते हैं कि वे सभी न्यूज़ पेपर की खबरें पढ़ते हैं. 


फलोदी सट्टा बाजार तय करता है रुझान
पार्टी के नेताओं की रैलियों पर बारीक नजर रखते हैं और लोगों के साथ इसकी चर्चा करते हैं. पार्टी की स्थिति क्या है या नेटवर्क के दूसरे सटोरिया किस पर दाव लगा रहे हैं इन सब पर विचार करने के बाद सामूहिक विचार तैयार करते हैं. इसी के आधार पर फलोदी सट्टा बाजार अपने रुझान तय करता है. किसी भी चुनाव के नतीजे के बारे में जीत हार के दावे इस आधार पर ही किए जाते हैं.


पुलिस की कार्यशैली पर उठाते हैं सवाल
कानूनन बात कर तो सट्टा बाजार गैरकानूनी है. इस पर पुलिस प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई भी करता है. लेकिन यह पुलिस प्रशासन की नाकामी ही है कि तमाम कार्रवाई के बाद भी सट्टा बाजार में सटोरिया पनप रहे हैं. इसके चलते पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठते रहे हैं. सवाल यही कि आखिर क्या कारण है कि फलोदी सट्टा बाजार के सटोरियों के इस कारोबार पर प्रतिबंध लगा पाना पुलिस के लिए भी चुनौती बना हुआ है.


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