Rajasthan Politcs News: बॉलीवुड एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) ने अपनी एक्टिंग से सभी को दीवाना बनाया. उनका एक डायलॉग 'खामोश' तो कई वर्षों से चर्चा में है. एक्टिंग करियर के साथ ही उनका राजनीतिक करियर भी प्रभावी रहा है. वह पटना साहिब (Patna Sahib) से सांसद रहे. फिलहाल वह आसनसोल से टीएमसी के सांसद है. इनका एक समय ऐसा क्रेज था कि जनता उनकी एक झलक पाने के लिए इंतजार करती रहती थी. एक ऐसा ही किस्सा उदयपुर (Udaipur) से जुड़ा हुआ है. तब वह बीजेपी के स्टार प्रचारक थे और उनकी उदयपुर में एक सभा होनी थी. उनकी एक झलक पाने के लिए उदयपुर के हजारों लोगों को दो रातों तक इंतजार करना पड़ा था.


किस्सा साझा करते हुए बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रकोष्ठ के पूर्व सदस्य विजय प्रकाश विप्लवी ने बताया कि जब मोबाइल, इंटरनेट और टीवी चैनलों का युग नहीं था, टीवी पर मात्र दूरदर्शन एकमात्र चैनल था, तब चुनावी सभाओं के प्रति जनता में उत्साह था. लोग घंटों अपने नेता का इंतजार करते थे. कई लोग तो सिर्फ अपने नेता को देखने आते थे. उदयपुर में एक फिल्मी अभिनेता की चुनावी सभा दो रातों के इंतजार के बाद अगले दिन सुबह हुई.


भाषण के बीच में पता चला नहीं आएंगे शत्रुघ्न सिन्हा
बात वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव की है, तब उदयपुर से विधायक रहे और वर्तमान में असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया बीजेपी से प्रत्याशी थे. उस समय फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के स्टार प्रचारक थे. उदयपुर शहर के गांधी ग्राउंड में आम सभा तय हुई. सभा आधी रात तक चली. शत्रुघ्न सिन्हा के इंतजार के बीच गुलाब चंद कटारिया और वरिष्ठ नेता भानुकुमार शास्त्री से लेकर युवा नेताओं तक ने भाषण कर लिए. अंत में समाचार मिला कि शत्रुघ्न सिन्हा नहीं आ सकेंगे. मंच से कहा गया कि शत्रुघ्न सिन्हा की सभा की नई तारीख घोषित की जाएगी. ऐसे में सभी लोग निराश हो गए. 


आखिरकार सुबह 9 बजे मंच पर पहुंचे शत्रुघ्न सिन्हा
फिर तय तारीख पर शहर के गुलाबबाग में सरस्वती भवन के बाहर सभा आयोजित हुई, वह भी आधी रात तक चली. उस समय रात 10 बजे के बाद माइक चलाकर सभा करने की पाबंदी नहीं थी. फिर घोषणा हुई कि शत्रुध्न सिन्हा सुबह 9 बजे आएंगे. आखिरकार शत्रुघ्न सिन्हा सुबह आए. उन्होंने भाषण के दौरान उदयपुर की जनता और राज्यपाल कटारिया से मंच पर माफी मांगी. इसके बाद अपना भाषण पूरा किया. इस तरह शत्रुघ्न सिन्हा की तीन भागों में सभा हुई. हालांकि 1991 में बीजेपी को उदयपुर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. 


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