लुंबाराम चौधरी ने उठाया कड़ाना और माही बांध का मुद्दा, जालौर-सिरोही के लिए की ये अपील
Rajasthan News: लुंबाराम चौधरी ने कहा कि भू जलस्तर में गिरावट से जालौर सिरोही जिले डार्क जोन घोषित हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि समझौता के अनुसार दिनों जिले के हक का पानी नहीं मिला.

Rajasthan News: सांसद लुंबाराम चौधरी (MP Lumbaram Choudhary) ने बुधवार को लोकसभा में माही और कड़ाना बांध (Mahi And Kadana Dam) का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि बारिश की कमी से जालौर सिरोही का भू जलस्तर बहुत गिर गया है. इस वजह से दोनों जिले डार्क जोन घोषित हो चुके हैं. खोसला कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात-राजस्थान की सीमा पर कड़ाना बांध बनना प्रस्तावित था. 1 अक्टूबर 1966 को राजस्थान और गुजरात सरकार के बीच माही जल बंटवारा समझौता में कड़ाना बांध का निमार्ण हुआ था.
शून्यकाल के दौरान लुंबाराम चौधरी ने कहा, "समझौते के अनुसार गुजरात के खेडा जिले को कडाणा बांध से पानी तब तक मिलेगा जबतक नर्मदा का पानी नहीं आता है. नर्मदा का पानी गुजरात के खेडा जिले को मिल रहा है तो समझौते के अनुसार कडाना और माही बांध के पानी का 2/3 भाग राजस्थान के सिरोही जालौर को तय हो चुका था. समझौता के अनुसार सिरोही जालौर के हक का पानी मिलना था मगर नही मिला." उन्होंने कहा कि कडाना बांध का पानी ओवरफलो होकर सुजलाम नहर के जरिए बहकर समुद्र में जा रहा है. गुरुग्राम की वापकॉस कम्पनी के सर्वेक्षण में बताया गया कि 1.30 लाख एमसीएम पानी बहकर बर्बाद हो गया है.
बारिश की कमी से जालौर सिरोही में गिरा भू जलस्तर
37 साल में 27 बार पानी ओवरफलो हुआ. सांसद लुंबाराम चौधरी ने सरकार से समुद्र में बह रहे पानी को रोकने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि राजस्थान और गुजरात सरकार की संयुक्त बैठक में डीपीआर बनाने की मंजूरी दी जाए. जवाई नदी सुमेरपुर शिवगंज आहोर जालोर सायला होते हुए बाडमेर तक जाती है. नदी किनारे बसे गांव पानी का उपयोग पेयजल और सिंचाई के लिए करते हैं.
सांसद लुंबाराम चौधरी ने लोकसभा में जताई चिंता
जवाई बांध निमार्ण के बाद जवाई नदी में प्रवाह नहीं होने से भूजल स्तर गिरता जा रहा है. अच्छी बरसात होने से नदियों को पानी मिल जाता था. कई वर्षो से नदी में पानी नहीं आया है. नदी किनारे के कुएं सूख गए हैं. बोरवेल 600 से 800 फीट नीचे चला गया है. खारा पानी आने से भूमि दिन प्रतिदिन खराब हो रही है. किसानों और जनता की मांग है कि जावई बांध के पानी का हिस्से तय कर जवाई नदी में डाला जाए.
तुषार पुरोहित की रिपोर्ट
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