Udaipur: झीलों की नगरी उदयपुर की आबोहवा अब होगी शुद्ध, कलेक्टर के निर्देश पर खरीदी जाएंगी मशीन
Udaipur Pollution: प्रदूषण नियंत्रण मंडल की वरिष्ठ वैज्ञनिक अधिकारी पायल पंचोली ने झीलों की सेहत बताने वाले आधुनिक उपकरण के बारे में जानकारी दी. कलेक्टर के निर्देश पर मशीनें खरीदी जाएंगी.
Udaipur News: करोड़ों रुपए की मशीन से झीलों की नगरी उदयपुर का आबोहवा शुद्ध हो जाएगी. झीलों में लगाई जाने वाली मशीन हर मिनट पानी की गुणवत्ता की रिपोर्ट करेगी. कलेक्टर ताराचंद मीणा ने मशीनरी को उदयपुर में मंगाए जाने के निर्देश जारी किए हैं. नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत ने बताया कि कलेक्टर ताराचंद मीणा के निर्देश पर 3.62 करोड़ रुपयों की लागत से 6 एंटी-स्मॉग गन, 2 ट्रक माउंट एंटी-स्मॉग गन, 2 बोलेरो माउंट एंटी-स्मॉग गन और 2 ट्रक माउंट पोर्टेबल स्टेटिक एंटी-स्मॉग गन को खरीदा जा रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की तकनीकी टीम खरीदारी में मदद कर रही है. जल्द मशीनों को शहर के ज्यादा वायु प्रदूषण होने वाली जगहों पर लगाया जाएगा.
अब शुद्ध होगी उदयपुर की आबो-हवा
नगर निगम के अधीक्षण अभियंता मुकेश पुजारी ने बताया कि एंटी-स्मॉग गन एक ऐसा उपकरण है जो सूक्ष्म नेबुलाइज्ड पानी की बूंदों को वायुमंडल में फेंकता है ताकि छोटी से छोटी धूल और प्रदूषित कण अवशोषित हो जाएं. पानी की टंकी से जुड़ी एंटी-स्मॉग गन को वाहन पर लगाया जाता है. उपकरण उच्च दबाव वाले प्रोपेलर के माध्यम से पानी को 50-100 माइक्रोन की बूंदों के साथ एक महीन स्प्रे में परिवर्तित करता है.
3.62 करोड़ की खरीदी जाएगी मशीन
कलेक्टर ताराचंद मीणा ने निर्देश दिए हैं कि जिस तरह से शहर में वायु गुणवत्ता की स्थिति को दर्शाने के लिए उपकरण लगाया गया है ठीक उसी तरह झीलों के पानी की गुणवत्ता को दर्शाने के लिए उपकरण स्थापित किए जाएं. इससे झीलों के पानी को प्रदूषण मुक्त रखकर झील में पाए जाने वाले जीवों की रक्षा हो सकेगी और झीलों के निर्मल पानी के रूप में शहरवासियों को शुद्ध पेयजल की सौगात मिल सकेगी. प्रदूषण नियंत्रण मंडल की वरिष्ठ वैज्ञनिक अधिकारी पायल पंचोली ने झीलों की सेहत बताने वाले अत्याधुनिक उपकरण के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि इसके तहत केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की तरफ से जलपरियोजनाओं में पैरामीटर्स को लिया जाएगा. इस उपकरण के लगाए जाने के बाद उदयपुरवासियों को चौबीसों घंटे एक मिनट के अंतराल में झीलों के पानी की गुणवत्ता की स्थिति की जानकारी मिल सकेगी. उपकरण की स्थापना और इसके पांच साल तक मेंटेनेंस पर लगभग एक करोड़ रुपयों की लागत आएगी.