Rajasthan Education News: समर वेकेशन के बाद अब स्कूल खुलने वाले है. स्कूल खुलने के बाद हर साल निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी का मुद्दा उठता है. अभिभावक विरोध भी करते हैं. लेकिन शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने उदयपुर दौरे के दौरान फीस बढ़ोतरी पर ऐसा बयान दिया कि चर्चाएं होने लगी है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि 97% निजी स्कूल सेवा का काम कर रहे हैं. सरकार का सहयोग भी कर रहे हैं. साथ ही आदिवासी हिंदू विवाद मामले में भी सफाई देते हुए नजर आए. जानिए उदयपुर दौरे पर क्या कहा शिक्षा मंत्री ने.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि डोटासरा कहते हैं कि मदन दिलावर का दिमाग दिव्यांग हो गया है. कल एक पत्रकार ने इंटरव्यू के दौरान कहा था कि कुछ लोग अपने आप को हिन्दू नहीं मानते. मैंने कहा था कि उनकी वंशावली और डीएनए से पता कराया जा सकता है. उन्होंने इस बात को आदिवासियों से जोड़ दिया. देश में आदिवासी हो, अनुसूचित, ओबीसी या महिला पुरुष हो, सभी सम्मानित है. विशेषकर आदिवासी लोग हमारी श्रेष्ठतम लोग है, जो जंगलों की रक्षा कर हमें प्राणवायु देते हैं. इसलिए कहने में अतिशयोक्ति नहीं कि हिन्दू समाज में आदिवासी श्रेष्ठतम है.
निजी स्कूलों को क्लीन चिट
निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी मामले में शिक्षा मंत्री दिलावर ने कहा कि 97% निजी स्कूल ऐसे हैं जो सब सेवा का काम कर रहे हैं. उनके घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ये बच्चों को पढ़कर समाज का भी भला कर रहे हैं और सरकार का सहयोग कर रहे हैं. मैं ये नहीं कह सकता कि जो सेवा कर रहे हैं वह भी गड़बड़ है. सरकार 82 लाख बच्चों को पढ़ा रही और निजी स्कूल 85 लाख बच्चों को. अब अनावश्यक रूप में उनके ऊपर दोषारोपण नहीं कर सकता. कुछ दो से तीन प्रतिशत ऐसे हैं जो ज्यादा फीस ले रहे हैं. उनसे प्रेम से बात करेंगे, नहीं तो कानून का सहारा लेंगे.
अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना कांग्रेस का मूर्खतापूर्ण निर्णय
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कांग्रेस सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने के निर्णय को मूर्खतापूर्ण बताया. उन्होंने कहा राजस्थान के बच्चों का भविष्य बर्बाद करने के लिए यह मूर्खतापूर्ण निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल का हम स्वागत करते हैं लेकिन कांग्रेस ने क्या किया, स्कूल खोले नहीं, हिंदी माध्यम स्कूल पर बोर्ड लटका कर परिवर्तित कर अंग्रेजी माध्यम कर दिया. सोचने वाली बात है एक बच्चा 10वीं तक हिंदी माध्यम में पढ़ा वह 11वीं ने अंग्रेजी माध्यम में कैसे पढ़ेगा. उन्हीं चाहिए था कि पहले कक्षा से खोलने. बच्चे उसी अनुसार पढ़ते.